भूकंपीय खतरे से कांपता हिमालय

Afeias
05 Aug 2020
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Date:05-08-20

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हाल के कुछ महीनों में भारत के हिस्सों ने भूकंप के कई झटके महसूस किए हैं। पृथ्वी के स्थलमण्डल में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से भूकम्प आते हें। भूकम्प के लगातार आने वाले हल्के  झटकों को किसी बड़ी दुर्घटना का प्रतीक माना जा रहा था , परन्तु वास्तविकता कुछ और ही बताती है।

ऐसा माना जाता रहा है कि भारतीय टैक्टॉरनिक प्लेट एशिया में एक दबाव बना रही है , जिसके कारण भूकंप आते रहते हैं। वास्त‍व में , हर सदी में भारत तिब्बत के दक्षिणी छोर के नीचे 2 मी. अंदर धंस जाता है। दुर्भाग्यवश , इसका उत्तरी भाग सुचारू रूप से नहीं फिसलता है , लेकिन सैकड़ों वर्षों से घर्षण व्दारा लटका हुआ है। घर्षण दूर होने और वापस आने की क्रिया कुछ मिनटों की होती है। इस स्लिप इवेंट को ही इन भूकंपों का कारण माना जाता है।

अक्स्र भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। भारी मात्रा में गैस प्रवास , पृथ्वी के भीतर मीथेन , ज्वालामुखी , भूस्ख्लन और नाभिकीय परीक्षण ऐसे मुख्य‍ दोष हैं। भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि सैकड़ों वर्षों में एक बार हिमालय में इस प्रकार का दबाव बनता है। यही कारण है कि भूमि पर सबसे तीव्र भूकंप हिमालय के आसपास के क्षेत्र में ही आ सकता है। इससे हिमालय के आसपास तीन-चौथाई क्षेत्र पर इसका प्रभाव देखा जा सकता है।

अध्ययन यह बताता है कि पिछले 2000 वर्षों में कभी 8.7 मैग्नीट्यूड की तीव्रता का भूकंप आया था। पिछले 70 वर्षों में 8 से अधिक तीव्रता का भूकंप नहीं आया है। इसका मतलब है कि हिमालयी वृत्त में दबाव का क्षेत्र बनता जा रहा है , जिसका मुक्त  होना बहुत जरूरी है। इस प्रक्रिया में हिमालय के दो या तीन क्षेत्र नष्ट होने की आशंका है। वैज्ञानिक इसका समय निश्चित नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा अनुमान है कि आने वाले दस वर्षों में यह कभी भी हो सकता है। इससे होने वाला विनाश , नेपाल में आए भूकंप की तुलना में कई गुना अधिक होने की आशंका है।

नेपाल में आए भूकंप से सबसे अधिक विनाश गांवों में हुआ था। इसके लिए कुछ प्रयास किए जाने चाहिए –

  1. हिमालय के आसपास के सभी क्षेत्रों के घर भूकंपरोधी हों । भूकंप से उतना खतरा नहीं , जितना घरों के गिरने से होता है।
  1. भूकंप निर्माण कोड बनाए जाएं। इसका कड़ाई से पालन किया जाए। कैलिफोर्निया में अक्सर भूकंप आते रहते हैं , लेकिन वहाँ के बिल्डिंग कोड के अनुसार काम होने से हानि नहीं होती।
  1. घर के अंदर और बाहर के सुरक्षित स्थानों के बारे में जनता को शिक्षित किया जाए।
  1. त्रासदी के समय काम आने वाली सामग्री घर में रखने हेतु दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए।
  1. आपातकालीन संचार योजना विकसित की जानी चाहिए।
  1. सामाजिक सहयोग की भावना बढ़ाई जानी चाहिए।

भारत , नेपाल , पाकिस्तान , बांग्लादेश और भूटान ऐसे देश हैं , जो हिमालयी क्षेत्र में आने वाले भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। इन देशों की सरकार और जनता को इस प्रकार के संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। इससे जन-धन की हानि को बहुत कम किया जा सकता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अमेरिकी भूगर्भशास्त्री रोजर बिलहम के साक्षात्कार पर आधारित। 19 जुलाई 2020

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