भारत में आत्महत्याओं का बढ़ता ग्राफ
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कुछ तथ्य –
- पूरी दुनिया में सबसे अधिक आत्महत्याएं भारत में होती हैं।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरों के अनुसार 2022 में 1.71 लाख लोगों ने भारत में आत्महत्या की है। प्रति एक लाख में इसे 12.4 कहा जा सकता है। अभी तक के रिकॉर्ड में यह सबसे ज्यादा है। यह आंकड़ा भी पूरा सही नहीं है, क्योंकि मृत्यु का पर्याप्त पंजीकरण नहीं हो पाता, मृत्यु का सही प्रमाण पत्र नहीं मिल पाता है।
- आत्महत्या करने वालों में से 41% की उम्र 30 वर्ष से कम होती है।
- भारतीय महिलाएं अपेक्षाकृत अधिक आत्महत्याएं करती हैं।
- प्रत्येक आठ मिनट में भारत में होने वाली आत्महत्या से परिवार, समाज, अर्थव्यवस्था और देश के भविष्य को बहुत हानि होती है।
कारण क्या हैं?
- हाल की एक समीक्षा से पता चलता है कि किशोरों में आत्महत्या का कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं (54%), नकारात्मक या दर्दनाक पारिवारिक मुद्दे (36%), शैक्षणिक तनाव (23%), सामाजिक और जीवनशैली कारक (20%), हिंसा (22%), आर्थिक संकट (9.1%), और भावनात्मक संबंध (9%) हैं।
- शारीरिक और यौन शोषण, कम उम्र में विवाह, कम उम्र में माँ बनना, घरेलू हिंसा, लैंगिक भेदभाव कुछ ऐसे कारण हैं, जिनके चलते युवा लड़कियां आत्महत्या कर लेती हैं।
- हमारी शिक्षा प्रणाली में अंकों पर जोर दिया जाता है। इसमें माता-पिता का दबाव, स्वयं से तथा शैक्षणिक संस्थाओं से की जाने वाली अपेक्षांए अंततः आत्महत्या का कारण बनती हैं।
- भारत के 19 राज्यों में विश्लेषण से पता चला है कि लगभग 20% कॉलेज विद्यार्थी नेट के आदी हैं। एक तिहाई युवा साइबर ठगी का शिकार होते हैं। इस समूह में से एक तिहाई आत्महत्या करते हैं।
समाधान क्या हो सकते हैं?
- युवाओं को समस्या समाधान, आवेग-नियंत्रण और भावनात्मक मजबूती सिखाई जानी चाहिए। उन्हें बताया जाना चाहिए कि मानसिक कमजोरी की स्थिति में मदद मांगी जा सकती है।
- मानसिक संकट की शुरू में पहचान और उसके अनुकूल देखभाल की व्यवस्था का प्रावधान होना चाहिए।
- एक स्वस्थ जीवन शैली जैसे अच्छा आहार, शारीरिक गतिविधि, इंटरनेट का माध्यम और उचित उपयोग, अच्छी मित्रता, योग और ध्यान से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- घेरलू हिंसा और शराब के सेवन को कम करके पारिवारिक माहौल में सुधार हो सकता है।
- शिक्षा में मूल्यांकन के लिए वैकल्पिक विधियों को लाया जाना चाहिए।
- जाति, धर्म और लैंगिक भेदभाव को कम करने के लिए सामाजिक परिवर्तनों पर ध्यान देने की जरूरत है।
- राजनीतिक इच्छा शक्ति, अंतर क्षेत्रीय सहयोग और प्रतिबद्धता और सामुदायिक भागीदारी ऐसे शस्त्र हैं, जिनसे क्या कुछ नहीं बदला जा सकता है।
सरकारी प्रयत्न –
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति विकसित करने के लिए नवंबर 2019 में एक टास्क फोर्स का गठन किया था। अंतिम रणनीति 2022 को शुरू की गई, जिसमें 2030 तक आत्महत्या को 10% तक कम करने का लक्ष्य है। रणनीति ने माना है कि आत्महत्या कम करने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, सूचना और प्रसारण व सामाजिक कल्याण मंत्रालयों के बीच सहयोग आवश्यक है। यह रणनीति मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए स्कूल स्वास्थ्य राजदूतों और युवा क्लबों के माध्यम से मादक पदार्थों और व्यसन को कम करने पर जोर देती है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित डॉ৹ लक्ष्मी विजय कुमार के लेख पर आधारित। 8 अप्रैल, 2024