जलवायु परिवर्तन पर न्यायालय का पहला ठोस निर्णय

Afeias
02 May 2024
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जलवायु परिवर्तन को सीमित करने के लिए सरकारों पर दबाव बनाने का प्रयास कई जगह शुरू होता जा रहा है। हाल ही में स्विस वरिष्ठ महिला नागरिकों के एक संगठन ने जलवायु परिवर्तन को मानवाधिकारों के उल्लंघन से जोड़कर देखा है। इस पर वहाँ के मानवाधिकार न्यायालय ने इसकी रक्षा की जिम्मेदारी सरकार पर डाली है।

इस पर कुछ बिंदु –

  • स्विट्जरलैण्ड में वरिष्ठ महिलाओं द्वारा दायर किया गया यह मुकदमा, अपने आप में जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में सरकार पर किया गया विश्व का पहला मुकदमा कहा जा सकता है।
  • इस पर यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय का निर्णय, यूरोपीय कन्वेशन ऑन ह्यूमन राइट्स के सदस्यों यानि यूरोपीय यूनियन के सभी सदस्य देशों के लगभग 40 विषम क्षेत्राधिकारों को प्रभावित करेगा।
  • यूं तो जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुकदमों में लगातार वृद्धि होती जा रही है। लेकिन पूरे विश्व में यह पहला मुकदमा है, जिसमें मानवाधिकार आयोग ने सबूत का पूरा बोझ सरकार पर यह कहते हुए डाला है कि सरकार को सिद्ध करना होगा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए उसकी नीतियां पर्याप्त हैं।
  • हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी के मूल आवास को बचाते हुए सरकार को अपना विकास कार्य करने का निर्देश दिया है।
  • इससे पहले न्यायालय ने स्वस्थ पर्यावरण और सतत् विकास के मामले को सुदृढ करते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से मुक्त होने के अधिकार को एक अलग मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी थी।
  • इससे भी पहले संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के हिस्से के रूप में स्वच्छ वातावरण में रहने के अधिकार को मान्यता दी थी।

विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 10 अप्रैल, 2024

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