औद्योगिक शहरों की योजना और चुनौतियां
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- सरकार ने 28,602 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 12 औद्योगिक शहरों की योजना को मंजूरी दी है। इसे 2027 तक पूरा किया जाना है।
- 10 राज्यों में फैली इन परियोजनाओं का उद्देश्य ग्रीनफील्ड शहरों का निर्माण करके घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
- सरकार का दावा है कि इस पहल से 10 लाख प्रत्यक्ष और 30 लाख अप्रत्यक्ष नौकरियाँ पैदा की जा सकती हैं।
- बजटीय घोषणा के बाद 12 शहर ऐसे आठ शहरों में शामिल हो जाएंगे, जो पहले से ही कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
- चार औद्योगिक शहरों में निवेश के मामले में कुछ सफलता मिली है। उदाहरण के लिए टाटा समूह ने धोलेरा में सेमीकंडक्टर फैब के लिए 91000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है।
चुनौतियां –
- 2014 में ऐसा ही एक कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य जीडीपी में विनिर्माणत की हिस्सेदारी को 2025 तक 25% बढ़ाना और 10 करोड़ अतिरिक्त नौकरी पैदा करना था। लेकिन ये लक्ष्य पूरे नहीं हो पाएंगे।
- सरकार जिन औद्योगिक शहरों को विकसित करना चाहती है, वे पर्याप्त बड़े नहीं हैं। प्रयागराज में ऐसा एक क्षेत्र मात्र 352 एकड़ में फैला है। चीन के स्पेशल इकॉनॉमिक जोन के अनुभव से पता चलता है कि इसके लिए बड़ा क्षेत्र चाहिए।
- बुनियादी ढांचे के लिए निवेश की चुनौती है। भारतीय कंपनियाँ निवेश कम कर रही हैं। पिछले दो वर्षों में एफडीआई में भी गिरावट देखी जा रही है।
कुल मिलाकर, यहाँ यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि घोषणाओं के बाद परियोजनाओं को कितने जोरदार तरीके से आगे बढ़ाया जाता है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 30 अगस्त, 2024