सप्लाई चेन को दुरूस्त करना होगा
Date:13-04-20 To Download Click Here.
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए प्रयास सार्थक कहे जा सकते हैं। इस प्रकार के संक्रामक रोगों का दुष्प्रभाव हमने 1918 के स्पेनिश फ्लू के दौरान देखा था, जब दुनिया भर में 50 करोड़ लोग संक्रमित हो गए थे। ऐसे अनुभवों ने ही सरकार को लॉकडाउन का निर्णय लेने को बाध्य किया है। इस निर्णय ने एक ओर देश को संक्रमण से बचाया है, परंतु दूसरी ओर अनेक समस्याएं भी खड़ी की हैं। ये समस्याएं क्या हैं, और इनसे कैसे निपटा जा सकता है, इसे समझा जाना चाहिए।
इस लेख में हम आम जनता की रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़ी खाद्य सामग्री की आपूर्ति को यथावत् रखने हेतु किए जा सकने वाले प्रयासों पर नजर डालेंगे।
1. सरकार ने खाद्यान्न आपूर्ति को बनाए रखने और लोगों का जमावड़ा न करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली से तीन माह का राशन एक ही बार में लेने की अपील की है। इस हेतु सरकार को चाहिए कि वह होम डिलीवरी सुविधा की शुरूआत करे। इसके लिए तमाम गैर सरकारी संगठनों, अर्धसैनिक बल एवं धार्मिक संगठनों का सहारा लिया जा सकता है।
2. फल-सब्जी जैसे जल्दी नष्ट हो जाने वाली सामग्री को पैकेट बनाकर मोबाइल वैन के माध्यम से पहुंचाया जा सकता है।
3. साप्ताहिक बाज़ारों पर रोक लगाकर ठेले पर सब्जी-फल बेचने वालों और ई-कामर्स की सहायता ली जा सकती है।
4. रिटेल सप्लाई लाईन को थोक सप्लाई लाइन से सुचारू रूप से जोड़े रखना होगा। हमारे गोदामों में चावल और गेंहू की भरमार है। रबी फसलों की खरीद का समय भी नजदीक है। इसके लिए फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया एवं अन्य खरीद एजेंसियों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
5. एक अन्य समस्या मंडियों के संचालन से जुड़ी हुई है। इनमें फल-सब्जियों के ढेर के साथ-साथ असंख्य मजदूर होते हैं। यहाँ काम करने वालों को सुरक्षा व बचाव की जानकारी के साथ-साथ सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की बड़ी जिम्मेदारी है। इसके साथ ही कृषि उत्पादों का प्रबंधन करने वाले श्रमिकों के स्वास्थ के लिए भी प्राथतिकता पर काम किया जाना चाहिए। यह ऐसा अवसर है, जब ए पी एम सी अधिनियम (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी) को स्थगित करके गैर सरकारी संगठनों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
6. ऐसे समय में; जहां खाद्य सामग्री के दामों के बढ़ने की आशंका रहती है, भारत में पोलट्री के दामों में बहुत गिरावट दर्ज की जा रही है। इससे मक्का के दामों में भी गिरावट आई है।
संकट की इस घड़ी में सरकार द्वारा घोषित 1.7 लाख करोड़ रुपयों का पैकेज पर्याप्त नहीं है। इसे बढ़ाकर कम-से-कम 5-6 लाख करोड़ रुपये किया जाना चाहिए। तभी हम लॉकडाउन से हो रहे हर प्रकार के नुकसान की भरपाई कर पाएंगे।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित अशोक गुलाटी एवं हर्षवर्धन के लेख पर आधारित। 30 मार्च, 2020