ऊर्जा के लिए नई तकनीकों पर काम करना होगा

Afeias
28 Feb 2018
A+ A-

Date:28-02-18

To Download Click Here.

हमारी सरकार के थिंक टैंक और अनुसंधान-शोध से जुड़ी विभिन्न एजेंसियों ने अभी तक इस बात पर कभी खुलकर चर्चा नहीं की है कि आज से कुछ दशक बाद मान लें 2040 में, तेल और कोयले जैसे ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों के साथ हमारे जीवन की गुणवत्ता कैसी होगी?

  • माना कि कोयला, ऊर्जा का एक निम्न कोटि का स्रोत है, जो ग्रीन हाऊस गैस का उत्सर्जन करता है। इसके बावजूद एक अनुमान के अनुसार 2040 में भी ऊर्जा की जरूरतों की पूर्ति में कोयला, तेल और गैस का 70 से 80 प्रतिशत का योगदान होगा। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों को निरंतर बढ़ाने के प्रयास के बावजूद पारंपरिक ऊर्जा साधनों को उपयोग में लाना हमारी मजबूरी होगी।
  • ऊर्जा का सबसे सस्ता साधन कोयला है। हमारा विद्युत तंत्र इसी पर आधारित है। ऊर्जा के वैकल्पिक साधन इतने सस्ते नहीं हैं। हमारे नेताओं, श्रमिक संघों और माफियाओं के हित कोयले को ऊर्जा का लोकप्रिय साधन बनाए रखने से जुड़े हुए हैं। अतः इस बात की उम्मीद करना बेकार है कि हम इसका कोई पूर्ण विकल्प ढूंढ लेंगे।
  • वर्तमान भारत में प्रतिव्यक्ति ऊर्जा खपत 521 किलोग्राम है, जो 2040 में बढ़कर 1,100 कि.ग्रा. (लगभग दोगुनी) हो जाएगी। यह स्थिति तब है, जब हमारी अधिकांश जनसंख्या गांवों में रहती है। जब ये धीरे-धीरे शहरों की ओर जाती जाएगी, तब स्थिति बहुत खराब हो जाएगी।

                 अमेरिका आधारित अनेक शोध संस्थानों ने भारत के 13 नगरों को विश्व में सबसे प्रदूषित शहरों में अंकित किया है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में सांस की बिमारियों से मरने वालों की संख्या भारत में चीन से अधिक हो जाएगी।

  • भारत के ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रही एजेंसियों ने नई उभरती तकनीकों (थर्ड जेनरेशन बायो, एडवांस्ड न्यूक्लियर, कोल गैसीफिकेशन, जियोथर्मल, हाइड्रोजन फ्यूल सेल, हाई स्पीड रेलवे आदि) को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। लेकिन इन तीनों एजेंसियों ने यह भी कहा है कि इन सबके साथ, ऊर्जा के क्षेत्र में कोयले के उपयोग पर निर्भरता खत्म नहीं हो सकती। इसके लिए सरकार को चाहिए कि वह कोयला गैसीफिकेशन जैसी हरित कोयला तकनीक को विकसित करे। इससे ग्रीन हाउस गैस को कम किया जा सकेगा।

इन सब स्थितियों के बीच सच्चाई यही है कि हमारा राजनैतिक-सामाजिक और आर्थिक वातावरण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकास के लिए पर्याप्त अनुकूल नहीं है। इसके लिए हमें नए तरह से सोचने की आवश्यकता है।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित विक्रम एस. मेहता के लेख पर आधारित।

Subscribe Our Newsletter