लीगो-इंडिया

Afeias
22 Jun 2017
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Date:22-06-17

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लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेवीटेशनल वेव ऑब्ज़रवेटरी (LIGO) अमेरिका में एक ऐसा कार्यक्रम है, जो ग्रेवीटेशनल वेव के संबंध में लगातार अनुसंधान कर रहा है। हाल ही में इसके डिटेक्टर ने दो ब्लैक होल के मेल से आने वाले संकतों को पकड़ा है। ये ब्लैक होल 300 लाख अरब प्रकाश वर्ष दूर हैं, और इनका घनत्व सूर्य के घनत्व से 19 गुना अधिक है।इस खोज में ब्लैक होल के पैटर्न, ग्रेवीटेशनल वेव, खगोलीय पिंडों और अभी तक के स्थापित आइंस्टाइन के सापेक्षता के सिद्धांत और गुरूत्वाकर्षण के मूलभूत दबाव के सिद्धांत को और अधिक समझने में मदद मिलेगी।

भारतीयों का योगदान

इस खोज में भारत के 13 संस्थानों के लगभग 67 वैज्ञानिकों ने भाग लिया। हालांकि दो डिटेक्टर से मिलने वाले संकेतों से यह स्पष्ट नहीं होता कि ये संकेत अंतरिक्ष में कहाँ से आ रहे हैं। इटली के VIRGO डिटेक्टर की मदद से जल्द ही इसे जाना जा सकेगा। इसके बावजूद भी कुछ ब्लाइन्ड स्पॉट रह सकते हैं, जिन्हें ‘लीगो-इंडिया’ की प्रतिस्पर्धा में आने के बाद शायद सुलझाया जा सके। लीगो-इंडिया का लक्ष्य 2024 में इस प्रतिस्पर्धा में शामिल होना है।

इन सब संभावनाओं के बीच भारत को ग्रेवीटेशनल वेव डिटेक्शन के क्षेत्र में और भी तैयारियां प्रारंभ कर देनी चाहिए। इस क्षेत्र में भारत क लिए कई नई चुनातियाँ सामने आएंगी। कुछ क्षेत्र; जैसे स्टडी आॅफ स्क्विज्ड् लाइट, मिरर सर्फेस भौतिकी तथा फाइबर बेस लेजर तकनीक आदि पर काम शुरू किया जा चुका है।

प्रायोगिक चुनौतियों के साथ-साथ सैद्धांतिक चुनौतियां भी आएंगी। इनमें विकास से संबंधित चुनौती सबसे बड़ी है। दूसरे, लीगो-इंडिया जब काम शुरू करेगा, तब इसमें प्रयोग से संबंधित काम तो एक छोटी टीम के द्वारा ही सम्पन्न किया जाएगा, परन्तु इस मिशन के अन्य कार्यों को सम्पन्न करने के लिए देश के अनेक भागों में एक-दूसरे से जुड़ा जाल-सा बिछाना होगा। इस प्रकार वैज्ञानिक उद्यम के इस गंभीर प्रयास को अंजाम देना भारत के लिए जिम्मेदारी का काम होगा। अंततः भारत में सभी वैज्ञानिक निवेशों का प्रबंध करने वाले परमाणु ऊर्जा विभाग को भी प्र्रयोगों को सकुशल सम्पन्न कराने का उत्तरदायित्व लेना होगा।

इस खोज के लिए एकजुट हुए वैज्ञानिकों और प्रयोगकर्ताओं की गतिकी के समक्ष शायद दो ब्लैक होल का मेल कुछ छोटा दिखाई दे रहा है। अब चुनौती इस बात की है कि अलग-अलग अनुभव और क्षमताओं से युक्त वैज्ञानिकों का आपस में तालमेल सही बना रहे।

हिन्दू में प्रकाशित शुभाश्री देसीकन के लेख पर आधारित।

 

 

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