भारत में सुरक्षित पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता
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पर्यटन के क्षेत्र में भारत को विरासत में बहुत कुछ मिला हुआ है। भौगोलिक और ऐतिहासिक दोनों ही रूप से यह बहुत समृद्ध है। यही कारण है कि यह विश्व भर के सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। परन्तु आए दिन विदेशी पर्यटकों के साथ होने वाली घटनाओं से भारत की छवि को धक्का लगता है। इसे देखते हुए ऐसा लगता है कि अगर भारत में पर्यटकों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए, तो पर्यटन उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था का सशक्त हिस्सा बन सकता है।
- इस संदर्भ में पर्यटन से जुड़ी एक सरकारी संस्था ने पर्यटकों की सुरक्षा के लिए पृथक पुलिस बल बनाने की सिफारिश की है।
- सरकार दावा करती है कि भारत के तेरह राज्यों में पर्यटकों के लिए अलग से पुलिस बल की तैनाती की गई है। परन्तु पर्यटकों से जुड़े अपराधों का रिकार्ड देखते हुए तो यह लगता है कि पुलिस बल अपना काम सक्रिय रूप से नहीं कर रहा है।
- पुराने ढर्रे के अपर्याप्त कानूनों और पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढ़ांचे के अभाव में हम असंख्य रोजगार गवां रहे हैं।
- एक अनुमान है कि पर्यटन को बढ़ावा देकर 2013 से 2022 के दशक में 1 करोड़ 3 लाख रोजगार पैदा किए जा सकते हैं।
भारत और विश्व के अन्य देशों में पर्यटन से जुड़े कुछ तथ्य:
- सन् 2016 में लगभग महाद्वीप के आकार के भारत में पर्यटकों की संख्या 80 लाख 89 हजार रही, जबकि लगभग दिल्ली के आकार के बराबर सिंगापुर जैसे देश में यह संख्या 164 करोड़ रही।
- चीन ने अपने पर्यटन उद्योग में बहुत वृद्धि की है। वह विश्व में पर्यटन का मुख्य आकर्षण माना जाने लगा है। 2010 में चीन ने पर्यटन के क्षेत्र में 4580 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्राप्त किए। विश्व के विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाले देशों में चीन चैथे स्थान पर रहा। लगभग यही स्थिति 2016 में भी बनी रही।
- यूरोप में स्विटजरलैण्ड छोटा सा खूबसूरत देश है। वहाँ की कुल जनसंख्या से अधिक पर्यटक यहाँ खिंचे चले आते हैं। यहाँ के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन उद्योग9 प्रतिशत का योगदान करता है।
हमें इन देशों की पर्यटन नीति से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। भारत को ऐसी विशेष पर्यटक पुलिस से सम्पन्न किया जाना चाहिए, जो पर्यटकों के अनुभवों को यादगार बना दे। इस मामले में आयरलैण्ड के दृष्टिकोण की सराहना की जा सकती है, जहाँ पर्यटकों के विरूद्ध होने वाले अपराधों में सरकार स्वयं एक वादी की भूमिका निभाती है। ऐसा करके ही हम ‘अतिथि देवो भव’ की हमारी परिकल्पना को साकार कर सकेंगे। तभी विदेशी पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित।