भारत में पर्यटन को लगते चार चाँद

Afeias
20 Dec 2018
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Date:20-12-18

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वर्ल्ड ट्रेवल एण्ड टूरिज्म कांउसिल (डब्ल्यू.टी.टी.सी.) की 2018 की रिपोर्ट में भारत को तीसरा स्थान मिला है। इस रिपोर्ट में 185 देशों के पिछले सात वर्षों (2011-2017) के प्रदर्शन पर दृष्टि रखी गई है। इस रिपोर्ट के चार मुख्य आधार रहते हैं। (1) सकल घरेलू उत्पाद में कुल योगदान, (2) अंतरराष्ट्रीय पर्यटन खर्च, (3) घरेलू पर्यटन खर्च एवं (4) पूंजी निवेश। इन चार स्तरों पर अपना स्थान ऊपर उठा पाने की दृष्टि से, यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।

2017 में, पर्यटन से भारत ने 234 अरब डॉलर का राजस्व अर्जित किया। यह फ्रांस और स्पेन की तुलना में अधिक है। सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान 7 प्रतिशत रहा। रोजगार की दृष्टि से यह 13 प्रतिशत रहा। भारत के पर्यटन उद्योग में 8.4 करोड़ लोग रोजगार प्राप्त करते हैं। 2014 के बाद से देश में, पर्यटन के माध्यम से लगभग 1 करोड़ 40 लाख रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं।

विश्व आर्थिक मंच के पर्यटन से जुड़े प्रतिस्पर्द्धात्मक सूचकांक में पिछले चार वर्षों में भारत ने 25 स्थान ऊपर की छलांग लगाई है। इसका श्रेय सरकार के उन प्रयासों को जाता है, जिनके कारण भारत में विदेशी और घरेलू यात्रियों की संख्या बहुत बढ़ गई है।

  • सरकार ने 166 देशों के लिए ई-वीज़ा व्यवस्था की शुरूआत की है। हाल ही में अंडमान निकोबार द्वीप समूह में विदेशियों को पहुँच के 24 घंटे के अंदर, विदेशी पंजीकरण कार्यालय में पंजीकरण करने की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। अब पूर्वोत्तर भारत में भी यात्रा करना सुगम हो गया है।
  • भारत की प्राकृतिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर, उसे पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाती हैं। सरकार ने विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए हैं। चार बंदरगाहों पर आव्रजन सुविधा के साथ क्रूज टर्मिनल बनाए गए हैं। इसके अलावा पर्यटन मंत्रालय, विदेशी सैलानियों को भारत में अपनी लंबी छुट्टियां बिता पाने के उद्देश्य से पूर्वोत्तर जैसे अछूते क्षेत्रों का इस प्रकार से विकास कर रहा है कि वे सुगम, सुरक्षित और आकर्षक स्थल बन जाएं। साथ ही उपचार की वैकल्पिक विधियों को भी स्वास्थ्य से जुड़े पर्यटन का हिस्सा बनाया जा रहा है। राज्य पर्यटन बोर्ड आकर्षक पैकेज निकाल रहे हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2014 की तुलना में विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ भी गई है। जहाँ तक विदेशी मुद्रा अर्जित करने का प्रश्न है, यह 20.2 अरब डॉलर से बढ़कर 2017 में 23.3 अरब डॉलर हो गई है, जिसे 2023 तक 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है।

  • सरकार ने मुख्य पर्यटन स्थलों के बुनियादी ढांचों के विकास और रख-रखाव पर भी बहुत ध्यान दिया है। ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रसाद योजना’, दो नई ऐसी योजनाओं की शुरूआत की गई है, जो देश में पर्यटन का इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करेंगी।
  • ‘धरोहर गोद लो‘ योजना के द्वारा किसी विरासत को कार्पोरेट आदि को गोद दिया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में अपनी विरासत के प्रति उत्तरदायित्व की भावना को विकसित करके उन्हें इनसे जोड़ना है। ऐसी 10 विरासतों को गोद देने का कार्य इस वर्ष संपन्न कर लिया जाएगा।
  • पर्यटन के विकास में स्वच्छ भारत मिशन का भी अपार योगदान है। इसकी सहायता से स्वच्छता का स्तर 95 प्रतिशत तक पहुँच गया है।

इन सब प्रयासों के साथ, इस बात की पुष्टि करनी है कि विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़े, और वे बहुरंगी स्मृतियां लेकर अपने देश को लौटें। भारत के पर्यटन को रूपांतरकारी बनाने का यह सही समय है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित के.जे.अल्फांस (केन्द्र सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री) के लेख पर आधारित । 6 नवम्बर, 2018

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