भारत में कुपोषण
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संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के अनुसार अफ्रीका और दक्षिण एशिया के लगभग 24 देश कुपोषण का शिकार हैं। केवल भारत में ही प्रतिदिन 3000 बच्चे कुपोषण के कारण मौत का शिकार हो जाते हैं। यूं तो भारत विश्व की तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देशों में गिना जा रहा है, किन्तु दूसरी ओर यह विश्व में सबसे ज्यादा कुपोषण से ग्रस्त देश भी है।
कुपोषण से जुड़े कुछ तथ्य
- भारत की बढ़ती जनसंख्या संख्या में बच्चे कुपोषण के कारण मर जाते हैं। यहाँ के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ कुपोषण एक तरह से जीवन का हिस्सा बन गया है। इस क्षेत्र के बच्चे या अन्य क्षेत्रों के कुपाषित बच्चे अगर बच भी जाते हैं, तो उपयुक्त भोजन एवं पोषण न मिल पाने के कारण उनके शरीर और दिमाग को काफी हानि पहुँच चुकी होती है। 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 4 करोड़ 40 लाख बच्चों का विकास कुपोषण के कारण अवरूद्ध हो जाता है। वे पढ़ाई नहीं कर पाते और जल्दी ही जीविकोपार्जन में लग जाते हैं। कुपोषण के कारण हमारे बहुत से नौजवान अपने बराबर के स्वस्थ नौजवानों की तुलना में पीछे रह जाते हैं। ऐसा होने पर गरीबी का चक्र चलता ही जाता है।
- कुपोषण के कारण जिन बच्चों की क्षमता पर्याप्त विकसित नहीं हो पाती, उनके कारण 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को लगभग 46 करोड़ डॉलर की हानि होगी।
- बच्चों के खानपान और अर्थव्यवस्था के बीच गहरा संबंध है। यह भी देखा गया है कि कुपोषण पर विजय प्राप्त करके किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद को 2-3 प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है।
- कुपोषण दूर करने के लिए माताओं में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। शिशु के जन्म के तुरंत बाद से छः मास तक माँ का दूध और उसके बाद माँ के दूध के साथ ही पौष्टिक और सुरक्षित भोजन देना जरूरी है।
- एक जागरूक एवं शिक्षित कन्या ही सफल माता बन सकती है। इसके लिए कन्या शिक्षा, परिपक्व उम्र में विवाह एवं गर्भाधान, पीने का साफ पानी जैसे मुद्दों पर काम करना होगा। साथ ही टीकाकरण एवं पूरे वर्ष पौष्टिक एवं सुरक्षित कृषि उत्पाद की उपलब्धता भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
- इसे राष्ट्रीय समस्याओं में वरीयता देनी होगी। ब्राजील जैसे देश ने कुपोषण एवं बच्चों के अपर्याप्त विकास को लगभग 80 प्रतिशत खत्म कर लिया है। इसके लिए उन्होंने मंत्रालयों में तालमेल रखा। मंजिल तक पहुँचने के लिए कभी भी इस मुद्दे को नजरंदाज नहीं किया। इससे लड़ने के लिए उचित कार्र्यप्रणाली को अपनाया।
- भारत में कुपोषण को दूर करने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। आयोडिन युक्त नमक, विटामिन ए एवं आयरन सप्लीमेंट, साल में दो बार डिवार्मिंग, स्तनपान एवं वृहद पैमाने पर अन्न भंडारण आदि कुछ ऐसे उपाय किए जा रहे हैं, जो सकारात्मक दृष्टि देते हैं।
- दूरसंचार की बेहतर प्रणाली को भी साफ-सफाई एवं पर्याप्त पोषण देने के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है। स्वच्छ भारत मिशन की सफलता ने भी कुपोषण की राह में एक कदम आगे बढ़ाया है। उम्मीद है कि कुपोषण की शर्मनाक स्थिति से भारत जल्दी ही छुटकारा पा सकेगा।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित सू डेसमंड हैलमैन के लेख पर आधारित। लेखिका बिल गेट्स की सीईओ हैं।