प्रकृति के इतिहासकार : रिचर्ड ग्रोव
Date:21-07-20 To Download Click Here.
ग्लोबल वार्मिंग और पारिस्थितिकी के दुष्प्रभावों से मानवजाति त्रस्त है। जलवायु परिवर्तन की स्थिति का पूर्वानुमान लगाकर , उसके प्रति हमें आगाह करने वाले इतिहासकार रिचर्ड ह्यू ग्रोव का हाल ही में निधन हो गया। उन्होंने आधुनिक पारिस्थितिकी की जड़ों को औपनिवेशिक काल से जोड़कर उसे बहुत सी सरकारों को परिचित कराया।
जुलाई 1956 में जन्में प्रोफेसर ग्रोव ने हार्टफोर्ड कॉलेज , ब्रिटेन में भूगोल और जीव विज्ञान को अपना मुख्य कार्यक्षेत्र रखा। 1988 में उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि मिली। 2002 में उन्होंने सेंटर फॉर वर्ल्ड एन्वीरोमेंटल हिस्ट्री् की स्थापना की थी।
ग्रोव ने महाव्दीपों के लिए नए प्रकार के दृष्टिकोण से इतिहास को देखा। उन्होने वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन के केन्द्र में भारत , अफ्रीका और कैरिबियन को रखा था। यूरोप में जंगलों , भूमि और पानी के विनियमन को आसान बना दिया। समय के साथ उनके काम ने स्थानीय प्रतिरोध और संघर्षों पर ध्यान देना शुरू किया।
अल नीनो , जलवायु परिवर्तन और 1998 में प्रकाशित आर्थिक और सामाजिक घटनाओं के दीर्घकालिक संबंधों पर किया गया उनका काम , अपने समय से आगे था। उन्होंने सिध्द किया कि विक्टोरिया काल से ग्लोबल वार्मिंग का ज्ञान था , और उस पर अध्ययन भी किया गया था। परन्तु शुरूआती चेतावनी के संकेतों को अनदेखा कर दिया गया था।
उन्होंने साम्राज्य और पारिस्थितिकी के बारे में बड़ा सवाल उठाया था। यह आज हमारे संकटकाल के लिए प्रासंगिक ठहरता है। उनके प्रश्नों के समाधान अतीत में ढूंढ़ने आसान नहीं थे , लेकिन औपनिवेशिक दुनिया के भारत से जुड़े इतिहास से उन्हें कई संकेत मिले थे।
‘ग्रीन इम्पीरियलिज्म’ सहित उनकी कई रचनाएं काफी प्रभावशाली हैं , जिनमें उन्होंने पीढि़यों , विषयों और क्षेत्रीय अध्ययन विशेषज्ञों के लिए एक कड़ी के रूप में काम किया है। 1987 में “नेचर एण्ड द ओरिएन्ट’’ आई इससे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में नजदीकी आई है।
उनके योगदान का आकलन , युवाओं को मार्गदर्शन देने की उनकी उल्लेखनीय क्षमता की चर्चा के बिना पूरा नहीं हो सकता।
भारत , पाकिस्तान , श्रीलंका , मॉरिशस एवं हिन्द महासागर के अन्य व्दीपों के राजनीतिक , पारिस्थितिकी एवं आर्थिक इतिहास के बारे में उनकी खोज के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित महेश रंगराजन के लेख पर आधारित। 1 जुलाई , 2020