पार्श्व प्रवेश इतना सीमित क्यों ?

Afeias
27 Jul 2018
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Date:27-07-18

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प्रशासन में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के अलावा बाहर से विशेषज्ञों की भर्ती करने की मांग बहुत समय से चल रही है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए संयुक्त सचिव के दस पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। ऐसी अपेक्षा की जा रही है कि प्रविष्टि या लेटरल एंट्री से आने वाले ये विशेषज्ञ वित्त, कृषि, परिवहन आदि में दक्षता रखते हों।

सरकार का प्रयास स्वागतयोग्य है। परंतु सवाल यह है कि इस प्रकार की भर्तियों को इतना सीमित क्यों रखा गया है ? क्या केवल 10 पदों पर बाहरी विशेषज्ञों को बैठाकर हम विश्व-स्तरीय विशेषज्ञता हासिल कर लेंगे ?

इसमें संदेह नहीं कि दुनिया की 10 तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में स्थान बनाकर हमें अपना प्रशासन भी विश्व स्तरीय बनाना होगा। ऐसा स्तर हमें सदियों से चली आ रही आई.ए.एस. की एकाधिकारी भर्ती प्रक्रिया से प्राप्त नहीं हो सकता।

इस प्रक्रिया का सबसे बड़ा संकट इसकी पदोन्नति की व्यवस्था है। सैद्धांतिक रूप से तो पदोन्नति के लिए केवल वरिष्ठता को आधार न बनाकर योग्यता को भी आँका जाता है। परंतु व्यवहार में अपनाया नहीं जाता है।

वैश्विक स्थिति –

पूरे विश्व के अनेक देशों; जैसे – अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैण्ड, जर्मनी, बेल्जियम आदि में पार्श्व प्रविष्टि एक सामान्य प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य प्रशासन की क्षमता, दक्षता एवं व्यावसायिकता को बढ़ाना है।

भारतीय संदर्भ –

ऐसा नहीं है कि भारतीय प्रशासन इस प्रकार की नियुक्तियों से अछूता रहा है। मनमोहन सिंह, मोन्टेक सिंह अहलूवालिया, विमल जालान, अरविंद पनगढिया आदि ऐसे कई नाम हैं, जिन्हें विशेषज्ञता के आधार पर प्रशासन में प्रवेश दिया गया। इनमें से बहुतों ने 1991 के पश्चात् हुए आर्थिक सुधारों में अहम् भूमिका निभाई, और इसके परिणाम आज हमें अर्थव्यवस्था की प्रगति के रूप में दिखाई दे रहे हैं।

विपक्ष में आई.ए.एस. अधिकारी –

नौकरशाहों ने पार्श्व प्रवेश का कभी भी स्वागत नहीं किया है। उनका मानना है कि आई.ए.एस की परीक्षा को पास करना हार्वर्ड में प्रवेश पाने जैसा कठिन काम है। दूसरे, प्रशासनिक सेवा का एक अधिकारी जिला स्तर पर कार्य करते हुए प्रशासन की जमीनी वास्तविकता को अच्छे से समझता है। उसे गाँव, जिला और राज्य का बेहतर अनुभव प्राप्त हो जाता है। तीसरे, ऐसा भी कहा जा रहा है कि पूर्व में की गई पार्श्व भर्तियां सफल नहीं रही हैं। निजी क्षेत्र के ‘मैनेजर’, सार्वजनिक क्षेत्र के प्रबंधन में विफल हो जाते हैं। इसके लिए वायुदूत, इंडियन एयरलाइन्स आदि का उदाहरण दिया जा रहा है।

पार्श्व प्रवेश के लाभ –

भारत के उदारीकरण के दौर में की गई पार्श्व भर्तियों के लाभ हम देखते आ रहे हैं। इसके अलावा होमी भाभा, एम.एस. स्वामीनाथन, वी. कृष्णमूर्ति, सैम पित्रोदा, रघुराम राजन आदि ऐसे नाम हैं, जिन्होंने भारतीय प्रशासन की उन्नति में अहम् भूमिका निभाई है।

विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री इंदरजीत सिंह ने भी पार्श्व प्रवेश की वकालत करते हुए भारतीय अधिकारियों को कहा था कि ‘आप अपने को सर्वज्ञाता समझते हैं। जबकि चीनी अधिकारी अपने अनुभव को सीमित मानते हुए, विश्व से सीखना चाहते हैं।‘

भारत सरकार के पूर्व वित्त सलाहकार अरविंद सुब्रह्यण्यम ने कहा था कि भारत को विश्व के सर्वोत्कृष्ट विशेषज्ञों को आमंत्रित करना चाहिए। तभी प्रशासन में सुधार हो सकेगा। दशकों से चली आ रही भारतीय प्रशासनिक सेवा के चयनित अधिकारियों पर निर्भर होकर यह नहीं हो सकता।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स‘ में प्रकाशित स्वामीनाथन एस अंकलेश्वर अय्यर के लेख पर आधारित। 18 जुलाई 2018

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