देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़े कुछ तथ्य

Afeias
30 Jul 2018
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Date:30-07-18

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  • अगर भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों, जैसे-असम, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा,मेघालय, मणिपुर, नागालैण्ड, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बंगाल और बिहार को मिलाकर एक देश मान लिया जाए, तो यह विश्व में बॉक्साइट का पाँचवा, लौह-अयस्क का चैथा और कोयले का सातवाँ सबसे बड़ा उत्पादक कहा जाएगा।
  • देश की सबसे ज्यादा युवाजनसंख्या इन्हीं प्रदेशों में है। समय की मांग है कि इस जनसंख्या को बाजार की मांग के अनुसार कुशल बनाया जाए। इसके लिए सरकार, इन प्रदेशों में भौतिक और बौद्धिक बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही है।
  • इन 13 राज्यों के लिए 2,578 आई टी आई खोले गए हैं, जिनकी क्षमता लगभग 6.18 लाख है।
  • छोटे कोर्स के लिए 900 प्रशिक्षण केन्द्र खोले गए हैं। इसकी शुरूआत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत की गई है।

इसी योजना के अंतर्गत 154 बहुआयामी कौशल केन्द्र खोले गए हैं, जिसके माध्यम से रोजगार और स्वरोजगार के लिए सहयोग दिया जाता है। प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए छः राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान खोले गए हैं। राष्ट्रीय उद्यमिता संस्थान भी खोला गया है।

  • इस क्षेत्र की विरासत और विशिष्टता की पहचान बनाने के लिए कारीगरों और शिल्पियों को प्रमाण पत्र के लिए भेजा जा रहा है। इसके लिए कटक में एक कौशल एवं सामन्य सुविधा केन्द्र खोला गया है। इसमें विश्व-प्रसिद्ध कलाओं का प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • प्रधानमंत्री नेइस क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्धता दिखाते हुए पूर्वोदय सुधारों की भरमार कर दी है। प्रधानमंत्री के इस विचार से क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी।
  • कर-हस्तांतरण के मामले में भी पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों का भाग बढ़ा दिया गया है। 13वें वित्त आयोग की तुलना में इसमें काफी बढ़ोत्तरी की गई है।
  • प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के अंतर्गत दिए गए नए कनेक्शन में लगभग आधे कनेक्शन कनेक्शन इन्हीं राज्यों को दिए गए हैं।
  • पारादीप और धमरा बंदरगाहों से व्यापार को बढ़ावा देने के लिए 20 अरब डॉलर का निवेश किया गया है।
  • ऊर्जा के क्ष्ज्ञेत्र में, जगदीशपुर-हन्डिया और बोकारो-धमरा प्राकृतिक गैस पाइपलाइन योजना का काम चल रहा है। प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना के अंतर्गत इस पाइपलाइन की लंबाई 2,655 किमी. होगी।
  • बरौनी-गुवाहाटी पाइपलाइन के द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों को नेशनल गैस ग्रिड से जोड़ दिया जाएगा।

सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ कंपनियों ने पूर्वोत्तर राज्यों में ही गैस ग्रिड सिस्टम को चलाने के लिए समझौता ज्ञापन दिया है।

प्रधानमंत्री का मानना है कि इस समस्त क्षेत्र की उन्नति किए बिना, भारत का विकास संभव नहीं है। साथ ही यह क्षेत्र युवा पीढ़ी, प्राकृतिक संपदा, पर्यटन, आर्थिक और व्यावसायिक अवसरों से भरा-पूरा है। विकास के पथ पर इसकी यात्रा शुरू हो चुकी है। उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में इसके फलदायी परिणाम होंगे।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में धर्मेन्द्र प्रधान के लेख पर आधारित। लेखक केन्द्रीय मंत्री हैं। 21 जुलाई, 2018

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