15वें वित्त आयोग की नज़र में उत्तर-पूर्वी राज्यों का कैसा स्थान हो ?

Afeias
13 Jul 2018
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Date:13-07-18

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15वां वित्त आयोग, केंद्र व राज्यों तथा राज्यों के बीच कर-हस्तांतरण पर एक निष्पक्ष फार्मूला बनाने की तैयारी में लगा हुआ है। ज्ञातव्य है कि 14वें वित्त आयोग ने इसमें राज्यों की भागीदारी को 32% से बढ़ाकर 42% कर दिया था। इससे राज्यों को पर्याप्त सुविधा मिल गई थी। इस हस्तांतरण में 27.5% जनसंख्या, 15% क्षेत्र, 7.5% वन-क्षेत्र और 50% आय को आधार रखा गया था। किसी राज्य की विशेषता के आधार पर किसी प्रकार के अनुदान की व्यवस्था नहीं की गई थी।

जहाँ तक उत्तर-पूर्वी राज्यों की बात है, उनकी विकास योजना स्पष्ट रूप से एक विशेष दर्जे की मांग करती हैं। इसके कई कारण हैं। इन राज्यों में केंद्र द्वारा अनुशंसित कई योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं के खर्च का बड़ा भाग राज्यों को ही वहन करना होगा। जैसे सर्व शिक्षा अभियान के लिए केंद्र से मिला अनुदान पर्याप्त नहीं हो़ता। इसी की तरह की अनेक केंद्रीय योजनाएं निधि के अभाव में अधूरी छोड़ दी गई हैं। उत्तर-पूर्व के पहाड़ी राज्यों में सड़क-निर्माण का खर्च अधिक होता है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत चल रहे कार्य में यही समस्या आ रही है।

क्षैतिज हस्तांतरण के दौरान उत्तरपूर्वी राज्यों को प्राकृतिक आपदाओं का भी अधिक सामना करना पड़ता है। 14 वें वित्त आयोग में इस बात को संज्ञान में नहीं लिया गया था। परंतु 15 वें वित्त आयोग को इस पर ध्यान देना चाहिए। इस क्षेत्र में वन सबसे ज्यादा हैं। ये वन देशभर में सबसे ज्यादा कार्बन अवशोषण करते हैं। अगर वन क्षेत्र के लिए 10%  अनुदान दे दिया जाए, तो इस क्षेत्र में वन-संरक्षण के लिए एक प्रोत्साहन होगा।

13 वें वित्त आयोग ने उत्तर-पूर्वी राज्यों की स्थिति को बाकी राज्यों से अलग रखा था। इसमें सकल राज्य घरेलू उत्पाद को आधार बनाकर राज्यों को सामान्य और विशेष दो भागों में बांटा गया था।

15वें वित्त आयोग में जीएसटी और डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर आदि के प्रदर्शन के आधार पर भी राज्यों को प्रोत्साहन राशि देने की बात कही गई है। यहाँ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों की आपसी प्रतियोगिता करना बेहतर होगा।

अंतिम रूप से आयोग के ही एक सदस्य का यह कथन सही लगता है कि ‘प्रदर्शन-आधारित और आवश्यकता-आधारित अनुदान में एक संतुलन बनाकर चलना श्रेयस्कर होगा।‘

‘द हिंदू‘ में प्रकाशित आशीष कुंद्रा के लेख पर आधारित। 26 जून, 2018

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