धर्मार्थ संस्थाओं की व्यापारिक भागीदारी
Date:05-11-19 To Download Click Here.
संपूर्ण विश्व में धार्मिक संस्थाओं को धन-सम्पत्ति का भंडार माना जाता है। इस प्रकार के ट्रस्ट में उनके अनुयायियों द्वारा दान में दी गई अकूत सम्पत्ति एकत्रित है। इनमें से कई ट्रस्ट आज क्रेडिट रेटिंग एजेंसी व अन्य माध्यमों से इस सम्पत्ति का खुलासा भी कर रही हैं।
वेटिकन की सम्पत्ति 10 अरब डॉलर से अधिक है। अमेरिका का मार्मन चर्च, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक में दी गई ‘जकात’, भारत के पद्मनाभ स्वामी मंदिर की 17 अरब डॉलर की सम्पत्ति उल्लेखनीय है। इसके साथ अगर मंदिर की पुरातन वस्तुओं का मूल्य जोड़ लें, तो यह 10 गुना अधिक हो सकता है।
इन सबसे राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और तरलता का प्रश्न आ खड़ा होता है। सरकार ने धर्मार्थ ट्रस्टों को इस प्रकार के दान प्राप्त करने के अधिकार को सुरक्षित कर रखा है। यह भी नहीं जाना जाता कि आखिर यह दान राशि कहाँ खर्च की जाती है। क्या यह उचित समय नहीं है, जब नीति में परिवर्तन के साथ इस धनराशि का उपयोग भारत के योग्य उद्यमियों के कारोबार में किया जाए। आज देश में अनेक ऐसे स्टार्टअप हैं, जो निरंतरता और स्थिरता के लिए मदद चाहते हैं।
भारत में स्टार्टअप से जुड़े कुछ तथ्य और धार्मिक ट्रस्टों की संभावित भूमिका।
- 2019 में स्टार्टअप के क्षेत्र में भारत का विश्व में तीसरा स्थान था। इसमें 38 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश था।
- वर्तमान में मंदिरों व अन्य धार्मिक ट्रस्टों की धनराशि का निवेश दिशानिर्देश के अनुसार ही किया जा सकता है। इसमें अन्य कहीं निवेश की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।
- अगर ये संस्थान अपनी सम्पत्ति का 5-10 प्रतिशत भी उद्यमों में निवेश करें, तो आगामी दशक में यह सबसे वृहद उद्यम पूंजी के रूप में तैयार हो जाएगा।
व्यापक प्रभाव
- इससे उद्यमिता और रोजगारों के नए अवसरों की एक लहर उत्पन्न हो सकती है। स्टार्ट अप के क्षेत्र में भारत का स्थान बहुत ऊँचा उठ सकता है।
- अगर निवेश/डिपॉजिट के ट्रस्ट संबंधी नियमों के ऑलटरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड, कैटेगरी-1 में फेरबदल किया गया, तो असंख्य प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
- रोजगार के अवसरों की उत्पत्ति का उदाहरण योरनेक्स्ट वेंचर कैपिटल (एआईएफ, कैटेगरी-वन) द्वारा 14 स्टार्टअप में 820 नए अवसर उत्पन्न हुए।
पे टी एम ने लगभग 13,000 रोजगार दिए। इसी प्रकार फ्लिपकार्ट, जोमैटो आदि ने अपार संभावनाएं दी हैं।
वैश्विक निवेश
धर्मार्थ ट्रस्ट के समान ही कुछ संस्थानों को भारत के लघु व मध्यम दर्जे के उद्यमों और स्टार्टअप में निवेश की अनुमति दी गई है। इस प्रकार के निवेश से उन्हें बहुत लाभ हुआ है।
सरकार को चाहिए कि आयकर अधिनियम 1961 के सैक्शन 11 (5) में संशोधन करके वह धर्मार्थ संस्थानों के लिए निवेश के द्वार खोले। बेकार पड़ी भारतीय सम्पत्ति के उपयोग से अर्थव्यवस्था में चार चांद लगाए जा सकते हैं।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित सुनील गोयल के लेख पर आधारित। 8 अक्टूबर, 2019