क्या आयुष्मान भारत योजना सफल हो पाएगी ?

Afeias
06 Aug 2018
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Date:06-08-18

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2018-19 के बजट में सरकार ने आयुष्मान भारत योजना की घोषणा की थी, जिसे मार्च में केबिनेट की स्वीकृति भी मिल गई। एन डी ए सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं; जैसे-स्वच्छ भारत, निःशुल्क एल पी जी कनेक्शन की तरह ही यह योजना जन स्वास्थ्य कल्याण से जुड़ी हुई है।

इस योजना का उद्देश्य 10 करोड़ से अधिक गरीब और वंचित परिवारों को लाभ पहुँचाना है। यह योजना प्रत्येक परिवार को 5 लाख के स्वास्थ्य बीमा की भी गारंटी देती है। इसके लिए लाभार्थियों को प्रीमियम नहीं देना होगा। इसका खर्च केन्द्र व राज्य सरकार मिलकर उठाएंगी।

योजना की सफलता पर संशय   

आयुष्मान भारत को विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कार्यक्रम माना जा रहा है। 2017-18 में सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (एन एफ एस ए) की शुरुआत की थी, जिस पर 1.4 खरब का खर्च आना है। इस योजना के सामने आयुष्मान भारत की योजना बौनी पड़ जाती है।

दरअसल, सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना 2013 में यू पी ए सरकार द्वारा चलाई योजना का ही अनुकरण है। उसी प्रकार आयुष्मान भारत भी यू.पी.ए. सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का ही संवर्धित रूप है। इसे 2008 में प्रारंभ किया गया था। इसके अंतर्गत प्रत्येक गरीब परिवार को प्रतिवर्ष 30,000 रुपये के स्वास्थ्य बीमा की व्यवस्था की गई थी। शुरुआत में इसे केवल बी पी एल परिवारों तक सीमित रखा गया था। परन्तु धीरे-धीरे इसमें कुलियों, ठेलेवालों और घरेलू सहायिकाओं को भी शामिल कर लिया गया। लाभार्थियों को योजना का लाभ उठाने के लिए केवल एक बार 30 रुपये की पंजीकरण राशि देनी होती थी। इसका लक्ष्य 2017 तक 7 करोड़ परिवारों को लाभ पहुँचाना था। डाटा से पता चलता है कि यह योजना 15 राज्यों तक सीमित रह गई है, और 2017 तक 5 करोड़ 10 लाख के निर्धारित लक्ष्य के बजाय केवल 3.6 करोड़ का ही पंजीकरण किया जा सका। इस योजना में प्रीमियम की राशि 750 रुपये प्रति परिवार तय की गई थी। जबकि आयुष्मान भारत में यह 1000 रुपये प्रति परिवार है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अनुभवों के आधार पर कहा जा सकता है कि आयुष्मान भारत की सफलता की राह आसान नहीं है। सरकार ने इस योजना के लाभार्थियों को ई-कार्ड देने का प्रावधान रखा है। इसके लिए पहले गरीब परिवारों की पहचान की जाएगी। उन्हें समझाना और उनका पंजीकरण कराने का काम बहुत आसान नहीं है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के 70 पैकेज की तुलना में इस योजना में 135 पैकेज हैं। इसके अलावा बीमा करने वाले और योजना को अपनाने वाले राज्य के बीच में समझौता ज्ञापन तैयार किया जाना है।

पश्चिम बंगाल और राजस्थान के अलावा लगभग सभी राज्यों ने इसे अपनाने की स्वीकृति दे दी है। ओड़ीशा ऐसा राज्य है, जो विधानसभा चुनावों के सम्पन्न होने का इंतजार करना चाहता है। तेलंगाना में काँग्रेस काल की आरोग्यश्री स्वास्थ्य बीमा योजना चल रही है। अतः उसने अभी इसे रोके रखा है।

योजना का उद्देश्य जनकल्याणकारी है। परन्तु यदि कार्यान्वयन के स्तर पर देखें, तो इसके वृहद पैकेज एक दीर्घकालीन कार्य नीति की मांग करते दिखाई देते हैं। अतः योजना की सफलता के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाओं को भी सामने आना होगा।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित चैतन्य कलबाग के लेख पर आधारित। 26 जुलाई, 2018