उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नई सुबह

Afeias
04 Sep 2020
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Date:04-09-20

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति , 2020 को कैबिनेट ने पारित कर दिया है। यह संक्षिप्त और सटीक है। शिक्षा के क्षेत्र में यह नियमन ढांचे को सरल और व्यवस्थित करने वाली लगती है। स्कूली शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन के साथ उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी यह कई सकारात्मक सुधारों का दस्तावेज है।

मुख्य बातें –

  • एक बोर्ड के अधीन देश के प्रमुख कॉलेजों को पाँच या कम वर्षों में ही स्वायत्तशासी बना दिया जाएगा , जो उच्च शिक्षा में डिग्री प्रदान कर सकेंगे।
  • स्ना‍तक स्तर के विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों को चुनने की छूट होगी।
  • स्ना‍तक डिग्री चार वर्ष की होगी।
  • विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत आने की छूट।
  • पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा का समावेश।
  • राष्ट्रीय अनुसंधान पीठ की स्थापना।

कुछ दीर्घकालीन लक्ष्य  –

  • विश्वविद्यालयों से संबंद्ध कॉलेजों को क्रमश: स्वायत्त कर दिया जाएगा या विश्विविद्यालय में एकीकृत कर दिया जाएगा।
  • स्वा‍यत्त शिक्षा संस्थानों का शासन एक बोर्ड के अधीन चलाया जा सकेगा।
  • छोटे-छोटे अनेक कॉलेजों को एक उच्च शिक्षा संस्थान में शामिल किया जाएगा। इस एक संस्थान की क्षमता कम से कम 3000 विद्यार्थियों की होनी चाहिए।
  • उच्च शिक्षा संस्थानों को शोध-अनुसंधान या शिक्षण में अपना रुझान निश्चित करना होगा। इस प्रकार की व्यवस्था अमेरिका और ब्रिटेन में चलाई जाती है।
  • इन लक्ष्यों को 2035 तक पूरा करने का लक्ष्या रखा गया है।

उच्च शिक्षा आयोग का गठन –

  • सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के स्थान पर एक हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया एच ई सी आई के गठन का लक्ष्या रखा है। इसे 2021 तक पूरा किया जाना है।
  • आयोग को उच्च शिक्षा संस्थानों को डिग्री प्रदान करने के लिए अधिकृत करने की शक्ति होगी। फिलहाल यह शक्ति केन्द्र, राज्य सरकार और यू जी सी के पास है।
  • एच ई सी आई अधिनियम को यूजीसी की शक्तियां स्थानांतरित की जाएगी।
  • इस अधिनियम से आयोग को विदेशी संस्थानों के भारत प्रवेश पर लचीला रवैया अपनाने का अधिकार मिलेगा। इस माध्यम से भारत के शैक्षणिक स्तर को ऊँचा उठाने वाले किसी भी संस्थान का देश में स्वागत किया जा सकेगा।

उच्च शिक्षा आयोग के गठन को भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के ज्ञान , शोध-अनुसंधान , शिक्षण की गुणवत्ता की दृष्टि से सुधार का आधार माना जा रहा है। उम्मीद की जा सकती है कि यह अपने गठन के आधारभूत लक्ष्यों पर खरा उतरेगा। इससे भारत भी विश्वस्तरीय शिक्षा का केन्द्र बन सकता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अरविंद पन्गैढि़या के लेख पर आधारित। 19 अगस्त , 2020

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