नगरों का कायाकल्प किया जाना जरूरी है

Afeias
07 Sep 2020
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Date:07-09-20

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हम नहीं जानते कि कोविड-19 जैसी महामारी का अंत कब होगा। लेकिन इस महामारी ने हमें अपने देश को सुरक्षित, सशक्त, स्वच्छ  और सुंदर बनाने का पाठ सिखा दिया है। इसने हमें जलवायु परिवर्तन से आने वाली बाढ़ जैसी आपदाओं एवं अन्य महामारियों के प्रति सजग और लचीला बना दिया है। इसके लिए हमें अपने नगरों के बहुमुखी विकास पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। देश के नगर 46.1 करोड़ जनता का घर है, और ये देश के सकल घरेलू उत्पाद में 63% का योगदान देते हैं। कोविड के लगभग दो-तिहाई मामले मुंबई , दिल्ली और चेन्न्ई में हैं। जनसंख्या के घनत्व के चलते यहाँ वायरस का प्रसार तेजी से होता रहा है।

नगरों के विभिन्न पक्षों पर एक नजर

जल एवं स्वच्छ‍ता – भारत में 15.2-21.6 करोड़ लोग , नगरों के अधिक घनत्वा वाले आवासीय क्षेत्रों या झुग्गियों में रहते हैं। यहाँ न तो पानी की पाइपलाइन है , और न ही पर्याप्त शौचालय हैं। सरकार का दायित्व है कि वह इसे प्राथमिकता पर पूरा करे। एफ आई सी सी आई वाटर मिशन ने वेस्ट और ग्रे पानी को पुन: उपयोग में लाने के प्रयास शुरू किए हैं।

भोजन और पोषण – भारत में विश्व के लगभग 15.1% कुपोषित लोग रहते हैं। इनमें बहुत से ऐसे हैं , जो प्रवासियों की तरह काम की तलाश में नगरों में आकर बस गए हैं। सरकार को चाहिए कि इनके लिए भोजन और पोषण सुरक्षा की गारंटी दे , तथा किफायती मूल्य  पर इस प्रकार से खाद्य सामग्री उपलब्ध कराए कि वह सबकी पहुँच में हो।

स्वास्थ्य सुरक्षा – 2014 से चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन ने लोगों में स्वच्छ‍ता के प्रति चेतना जगा दी है। लक्ष्य अभी दूर है। इस दिशा में 15 अगस्त को कचरा मुक्त की घोषणा की गई है। स्वच्छ‍ता से स्वास्थ्य को प्राप्त करने हेतु मूलभूत बुनियादी ढ़ांचे की कमी को पूरा किया जाना बहुत जरूरी है।

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या बढ़ाए जाने के साथ ही संसाधनों पर भी ध्यान देना होगा।

बढ़ता प्रदूषण –

  • भवनों के डिजाइन और सामग्री से उसकी एयर कंडीशनिंग की जरूरत को कम किया जा सकता है।
  • विश्व के वाहनों में 2% वाहन भारत में चलते हैं। स्वाभाविक रूप से , नगरों में इनके बढ़े हुए प्रयोग से प्रदूषण अधिक होता है। सार्वजनिक परिवहन में बढ़ोत्तरी , अच्छे़ फुटपाथ , सायकिल ट्रैक से हम निकटतम दूरी के लिए वाहनों का उपयोग कम कर सकते हैं। वर्क-फ्रॉम होम संस्कृति से भी प्रदूषण घट सकता है।
  • भारतीय सीमेंट कंपनियों ने कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में काफी काम किया है।
  • नवीनीकृत ऊर्जा के क्षेत्र में भारत का अग्रणी स्थान है।

नगरों में किए गए सर्वेक्षण में 90% लोगों ने स्वच्छ वायु को अपनी पहली जरूरत बताया है।

यह सत्य है कि एक समृद्ध देश में नगरों का बड़ा योगदान रहता है। हमें अपने नगरों के प्रशासन को फिर से कायम करने पर पुनर्विचार करके अनुकूल नीतियां बनानी होंगी।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित नैना लाल किदवई के लेख पर आधारित। 19 अगस्त , 2020

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