न्याय का विकेंद्रीकरण हो
Date:02-05-19 To Download Click Here.
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के बीच एक अपीलीय न्यायालय की अवधारणा प्रस्तावित की है। आगामी आम चुनावों में सरकार चाहे जिस दल की बनें, अपीलीय न्यायालय की आवश्यकता और उसके उपयोग से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता।
अपीलीय न्यायालय क्या है?
- प्रस्तावित राष्ट्रीय अपीलीय न्यायालय; चेन्नई, मुंबई और कोलकाता आदि क्षेत्रीय पीठों के उच्च न्यायालयों और ट्रिब्यूनल न्यायालय से मिले निर्णयों के विरूद्ध अपील करने में सहायक होगा। इसमें सिविल, आपराधिक, श्रम और राजस्व से जुड़े मामलों को सुना जा सकेगा।
- अपीलीय न्यायालय के आने से उच्चतम न्यायालय का पूरा ध्यान एवं समय संवैधानिक एवं सार्वजनिक कानूनों से जुड़े मामलों के निपटारे में लग सकेगा।
अपीलीय न्यायालय की आवश्यकता क्यों है?
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् के कुछ दशकों तक उच्चतम न्यायालय का मुख्य कार्य संवैधानिक मामलों पर सुनवाई करना था। समय के साथ विस्तार लेती अर्थव्यवस्था के कारण अब रोजमर्रा के वित्तीय मामले, अस्वीकृत चैक, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन आदि से जुड़े विवाद भी उच्चतम न्यायालय पहुँचने लगे हैं।
- 1 अप्रैल, 2019 तक इन मामलों की संख्या लगभग 58,000 है, जो उच्चतम न्यायालय के पास लंबित पड़े हैं। इससे पहले न्यायालय ने संविधान पीठ के 560 मामलों को निपटाने के लिए संघर्ष किया है। उच्चतम न्यायालय के अनेक न्यायाधीश काम की अधिकता की शिकायत करते रहे हैं। परन्तु सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया है।
- अपीलीय न्यायालय की स्थापना से संविधान की व्याख्या के लिए उच्चतम न्यायालय को पर्याप्त समय मिलेगा। साथ ही न्यायिक संस्थाओं की विफलता से निपटने के लिए कुछ सहारा मिल सकेगा।
- 2016 का एक अध्ययन बताता है कि उच्च न्यायालय में किसी मामले पर निर्णय देने के लिए न्यायाधीशों को मात्र पाँच से छः मिनट का समय मिलता है।
- कम समय मिलने से न्याय की गुणवत्ता प्रभावित होती है। याचिकाकर्ता को असंतोष होन से वह उच्च न्यायालय के निर्णय को लेकर उच्चतम न्यायालय में अपील करना ठीक समझता है।
- उच्चतम न्यायालय में अपील के लिए दिल्ली तक पहुंचना हर एक नागरिक के बस की बात नहीं होती। अपीलीय न्यायालय के माध्यम से बनने वाली क्षेत्रीय शाखाओं से यह समस्या हल हो सकेगी।
प्रस्ताव से आशंकाएं
- अपीलीय न्यायालय के गठन से उच्चतम न्यायालय के संवैधानिक अधिकारों पर आंच आ सकती है। अपीलीय न्यायालय के गठन के लिए संविधान के अनुच्छेद 130 में संशोधन करना होगा, जिससे उच्चतम न्यायालय के संविधान में परिवर्तन का खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
- अपीलीय न्यायालय में नियुक्तियों का संकट भी बना रहेगा। फिलहाल उच्च न्यायालयों में 1079 पदों पर 399 रिक्तियां हैं। नए न्यायालय के लिए न्यायाधीशों की व्यवस्था करने के लिए न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु को 65 से 70 वर्ष करना होगा।
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन करके इस कमी को पूरा किया जा सकता है। इससे कोष पर भार बढ़ेगा।
अलग-अलग कानून आयोगों ने क्षेत्रीय अपीलीय न्यायालयों के गठन पर लगातार जोर दिया है। अतः नेताओं और न्यायाधीशों को मिलकर इस गंभीर मामले पर चर्चा करके समाधान निकालना चाहिए।
विभिन्न स्रोतों पर आधारित
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