अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह के आदिवासी

Afeias
16 Jan 2019
A+ A-

Date:16-01-19

To Download Click Here.

नवम्बर में, अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सेंटीनल द्वीप में रहने वाले आदिवासियों ने एक युवा अमेरीकी यात्री को मार दिया। इस समाचार ने पूरे विश्व के मीडिया जगत को एक बार फिर इन ‘आदिवासी रिजर्व’ द्वीपों की खबर लेने को उत्सुक कर दिया है। इस हत्या से ऊपजे विवाद ने भी कभी यहाँ रहने वाले आदिवासियों के समुदायों पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए, तो कभी भारतीय सरकार की आदिवासी कल्याण योजनाओं पर।

यहाँ इन प्रश्नों के बजाय, द्वीप के आदिवासियों में छिपी शत्रुता की भावना और सरकारी अधिकारियों एव मानव विज्ञानियों के द्वारा इन तक पहुँच बनाए जाने के प्रयासों पर विचार करना अधिक महत्वपूर्ण है। इससे संबंधित कुछ तथ्य सामने आते हैं।

(1) बाहरी व्यक्तियों के प्रति सेंटीनल आदिवासियों की शत्रुता को उनके एकाकीपन की रक्षा की भावना से जोड़ा जाता है। कभी ऐसा लगता है कि वे बाहरी सभ्यता से अपने को अछूता ही रखना चाहते हैं। यह भी अंदाज लगाया जाता है कि शायद अंग्रेजों के राज में उन पर कुछ अत्याचार किए गए। इससे बाहरी व्यक्तियों के प्रति उनमें शत्रुता की भावना जाग्रत हो गई।

(2) औपनिवेशिक रिकार्ड में इन आदिवासियों को ‘सेंटीनल जाररा’ नाम से रेखांकित किया गया है। 1931 के दौरान अधिकारियों ने इस द्वीप की जानकारी के लिए यहाँ कदम भी रखे थे। 1970 के पश्चात् भारतीय अधिकारियों के इस द्वीप में कुछ फोटो भी मिलते हैं। अतः इनके ‘एकाकी’ रहने वाले सिद्धाँत पर संदेह उत्पन्न हाता है।

(3) यदि इनके फोटो आदि से जुड़े रिकार्ड पर गौर किया जाये, तो समझ में आता है कि इनकी डोंगियों का आकार कितना बदल गया है। साथ ही इनके बाणों में फल में किस प्रकार से लोहे का इतना प्रयोग होने लगा है। इनके गलों में कांच के मनकों की माला भी दिखाई पड़ती है। इसकी उपलब्धता भी संदेह उत्पन्न करती है।

(4) इनसे संबंधित फोटो में कहीं तो ये आदिवासी किसी हेलीकॉप्टर या पास आने वाली नौका पर तीर ताने दिखाई देते हैं, तो कहीं ये सरकारी अधिकारियों से उपहार लेते दिखाई देते हैं।

(5) भारत के मानव विज्ञानी सर्वेक्षण के दौरान इस द्वीप पर 26 बार अधिकारियों के जाने के प्रमाण मिलते हैं। इनमें से 7 बार शत्रुता के व्यवहार के भी प्रमाण मिलते हैं

इससे स्पष्ट होता है कि ये आदिवासी जानते हैं कि किस प्रकार के लोगों का आना उनके लिए सुरक्षित या लाभकारी है। इसका अर्थ है कि उनकी शत्रुता रणनीतिक है।

(6) भारत सरकार ने इनकी भावनाओं की रक्षा के लिए 1989 के सम्मेलन में इन द्वीपों के आदिवासियों के जीवन में अहस्तक्षेप की नीति जारी की थी। इसमें इन आदिवासियों के जीवन, आर्थिक विकास और उनकी संस्थाओं को अपने तरीके से चलाने की उनकी इच्छा का सम्मान करने की बात कही गई है।

इस नीति का संज्ञान लेते हुए अगस्त में सरकार द्वारा अंडमान द्वीप समूह के 29 द्वीपों के प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट में ढील दिए जाने वाला आदेश प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।

इस प्रकार की छूट दिए जाने से आदिवासी बहुल इन क्षेत्रों का व्यवसायीकरण या अतिक्रमण होने में कोई खास समय नहीं लगेगा।

(7) सरकार को चाहिए कि द्वीपों के आदिवासियों के लिए सुरक्षा का उचित प्रबंध करे। सुरक्षा देने का अर्थ निगरानी के लिए सशक्त बुनियादी ढांचे के निर्माण पर्याप्त कर्मचारी पुलिस, वन एवं कल्याण एजेंसियों के बीच समन्वय के अलावा संवेदनशील योजनाओं में निवेश करने से है।

समाचार पत्रों पर आधारित।