ईरान के चाबहार बंदरगाह पर समझौता
चाबहार बंदरगाह क्यों इतना महत्वपूर्ण है?
- यह होरमुज क्षेत्र का प्रवेश द्वार है।
- यह तीन क्षेत्रों को जोड़ता है-मध्य एशिया, दक्षिण-एशिया एवं पश्चिमी-एशिया।
- यह बंदरगाह जहाज द्वारा तेल व्यापार मार्ग का जंक्शन है।
- यहाँ से प्रतिवर्ष एक लाख जहाज गुजरते हैं।
- तेल के कुल विश्व भंडार का लगभग दो तिहाई भाग इसी क्षेत्र में स्थित है।
- प्रतिदिन अनुमानतः 17 अरब बैरल तेल यहाँ से होकर गुजरता है।
यह समझौता भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
- रणनीतिक दृष्टि से इससे इस क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
- इससे ईरान एवं अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंध और भी घनिष्ठ होंगे।
- इससे भारत ईरान से सस्ती ऊर्जा आयात कर सकेगा।
- इस समझौते के कारण इस क्षेत्र में चीन का लगातार बढ़ता जा रहा दबदबा नियंत्रित हो सकेगा।
ज्ञातव्य है कि चीन ग्वादर बंदरगाह, जो पाकिस्तान में है, को विकसित करने में भारी निवेश कर रहा है। यह बंदरगाह भी चाबहार की तरह ही समान महत्व का है। ग्वादर-बंदरगाह चाबहार से केवल सौ किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है।
- इससे भारत अब आसानी के साथ ऊर्जा-समृद्ध क्षेत्र; अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान तथा मध्य एशिया के अन्य देशों तक पहुँच सकेगा।
- भारत अभी तक लाल सागर, स्वेज नहर तथा भूमध्य सागर के रास्ते व्यापार करता था। अब वह सीधे मुम्बई एवं कांडला बंदरगाह से चाबहार पहुँच सकेगा। इसके कारण-
- दूरी पहले से 40 प्रतिशत घट जायेगी; तथा
- परिवहन व्यय भी पहले की अपेक्षा 30 प्रतिशत कम हो जायेगा।
- भारत की पाकिस्तान पर से निर्भरता खत्म हो जायेगी। पाकिस्तान अपने रास्ते से भारतीय निर्यात को पसंद नहीं करता था।
‘दि टाइम्स ऑफ इंडिया’ (25/5/2016) के एक न्यूज पर आधारित।
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