जियोस्पेशियल इंफॉरमेशन रेग्यूलेशन बिल (जियोस्पेशियल सूचना नियमन बिल)

Afeias
09 Jun 2016
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9-June-2016Date: 09-06-16

सरकार ने जियोस्पेशियल सूचना नियमन बिल, 2016 की रूपरेखा जारी की है।

इस बिल के अनुसार किसी प्रकार की जियोस्पेशियल (भारत के नक्शे आदि से संबंधित) सूचना प्राप्त करने, प्रसार करने, प्रकाशित या बाँटने से पहले सरकार की स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा।

घरेलू मामलों से संबंधित मंत्रालय ने इस बिल में नक्शे संबंधी सूचना, नक्शा बनाने और नक्शे संबंधी डाटा देने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव रखा है।

 

नियम

“जो भी व्यक्ति भारत के नक्शे संबंधी सूचना प्राप्त करना, प्रसारित करना, प्रकाशित या वितरित करना चाहता है, उसे सिक्योरिटी वैटिंग अथॉरिटी को एक आवेदन के साथ उसका शुल्क भी देना होगा।”

जिस किसी के पास भारत के नक्शे संबंधी कोई डाटा पहले से है, उसे बिल पारित होने के एक वर्ष के अंदर इसके लिए उचित प्रक्रिया से लाइसेंस लेना होगा।

 

सिक्योरिटी वैटिंग एजेंसी क्या है?

इस एजेंसी में भारतीय सरकार के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को चेयरमैन बनाया जाएगा और दो अन्य में एक तकनीकी विशेषज्ञ व दूसरा भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञ होगा।

 

बिल पारित होने से कौन प्रभावित होगा?

बिल के पारित होने से गूगल जैसी बड़ी कंपनियां प्रभावित होंगी, जो गूगल मैप उपलब्ध कराती हैं। कई टैक्सी कंपनियां ओला, ऊबर, पर्यटन कंपनियां, व्हाट्स, ई-कॉमर्स डेलीवरी सर्विस आदि, जो भी स्थानीय नक्शे का सही विवरण देती हैं, सभी प्रभावित होंगी। यहाँ तक कि जीपीएस वाले स्मार्ट फोन और लैपटॉप के उपभोक्ता भी प्रभावित होंगे।

दण्ड का प्रावधान

  • जो भी इन नियमों का उल्लंघन कर भारत के नक्शे संबंधित जानकारी प्राप्त करेगा उसे एक करोड़ से लेकर सौ करोड़ रुपये तक की धनराशि दण्डस्वरूप देनी पड़ सकती है। इसके अलावा सात वर्षों की जेल की सजा भी हो सकती है।
  • अवैध रूप से नक्शे संबंधी सूचना का प्रसार, प्रकाशन या वितरण करने की स्थिति में दस लाख से लेकर 100 करोड़ रूपए का जुर्माना एवं सात साल की कैद हो सकती है।
  • भारत से बाहर भारत के नक्शे संबंधी अवैध सूचना पर एक करोड़ से लेकर 100 करोड़ रूपए का जुर्माना या सात साल की कैद हो सकती है।
  • भारत के नक्शे के गलत चित्रण की अवस्था में दस लाख से लेकर सौ करोड़ रुपए तक का जुर्माना और/या सात साल की कैद हो सकती है।
  • लाइसेंस लेने के नियमों का उल्लंघन करने की स्थिति में दस लाख से लेकर 100 करोड़ रूपए तक का जुर्माना और/या लाइसेंस रद्द होना और/या सात साल की कैद हो सकती है।

बिल की आलोचना क्यों?

  • आलोचकों का कहना है कि प्रत्येक स्मार्ट फोन उपभोक्ता के लिए लाइसेंस लेना बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं होगा।
  • नक्शे पर आधारित यात्रा वाले सभी व्यापार या कार्य अवैध हो जाएंगे।
  • बड़ी कंपनियां तो सिक्योरिटी वैटिंग का शुल्क आसानी से दे देंगी, जबकि उभरती हुई या स्टार्ट अप कंपनियां परेशान हो सकती हैं।
  • इस बिल से नक्शे संबंधी सूचना के आधार पर काम करने वाले स्मार्ट शहरों की योजना की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है।

 

दि टाइम्स ऑफ इंडियाके लेख पर आधारित

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