भारत-जापान समझौता

Afeias
22 Nov 2016
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modi-abe-story_650_090314015956Date: 22-11-16

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पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी की जापान यात्रा के दौरान जापान ने अपने परंपरागत रुख से हटकर भारत के साथ ऐतिहासिक असैन्य परमाणु सहयोग करार पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए नौ अन्य समझौते भी किए।

गौरतलब है कि सन् 1998 में भारत द्वारा परमाणु परीक्षण करने पर जापान ने भारत के साथ तीन साल के लिए सभी आर्थिक लेन-देन एवं सभी तरह के राजनैतिक आदान-प्रदान पर प्रतिबंध लगा दिया था। यहाँ तक कि जी-8 में जापान ने भारत और पाकिस्तान द्वारा किये गये परमाणु परीक्षण की सामूहिक निंदा भी की थी।

  • भारत के लिए समझौते का महत्व
    • जापान पूरे विश्व को परमाणु हथियारों से मुक्त बनाना चाहता है। अपनी इस नीति के अनुरूप वह उन्हीं देशों से यह करार करता है, जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर कर रखे हैं। हाँलाकि भारत उन देशों में नहीं है, फिर भी जापान ने भारत पर भरोसा जताया है। भारत को इसका लाभ निश्चित रूप से मिलेगा।
    • इससे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता की दावेदारी के लिए भारत की स्थिति को मजबूती मिलेगी।
    • भारतीय विद्यार्थियों के लिए अब जापान का वीजा पाना आसान होगा।
    • 30,000 भारतीयों को जापानी तरीकों से उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा सकेगा।
    • भारत में जापानी उद्योगों की साझेदारी एवं सहयोग से जापान के साथ-साथ भारत को माइक्रो, लघु एवं मध्यम दर्जे के उद्योगों को बहुत लाभ होगा।
    • दोनों देश एक-दूसरे की जलीय एवं आकाशीय सीमाओं की स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए संयुक्त राष्ट्र के समुद्री नियमों के अनुसार अब खुले रूप से समुद्री व्यापार कर सकेंगे।
    • मुम्बई अहमदाबाद मार्ग पर बुलेट ट्रेन चलाने की योजना साकार होगी।
    • आंध्र प्रदेश के कोवाड़ा में बन रहे अमेरिकी रेस्टिंग हाउस ए.पी.-1000 रिएक्टर के लिए चार वितरण स्रोत हैं, जिनमें जापान भी एक है। जापान के साथ इस करार से अब उसका काम आगे बढ़ सकेगा। इस रिएक्टर को जून 2017 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इसी प्रकार जैतपुर में फ्रांस की मदद से बन रहे रिएक्टर का काम भी जापानी स्टील कंपनियों पर आश्रित था। अगर जापान इस समझौते से हट जाता, तो काफी परेशानी आ सकती थी। किसी अन्य स्टील कंपनी को उस प्रकार के काम में महारथ हासिल नहीं है।
    • जापान ने 2014 में हथियारों के निर्यात पर प्रतिबंध हटा लिया है। इसका लाभ उठाते हुए भारत ने जापान की नामी कंपनी शिनभाषा इंइस्ट्रीज़ से 12 यूस-2 आई विमान खरीदने का निर्णय लिया है।
    • हर्ष का विषय यह है कि इनमें से दस विमानों की एसेंबलिंग भारत में ही ‘मेक इन इंडिया’ के तहत की जाएगी।
    • दोनों पक्षों ने सैन्य तकनीकों के आदान-प्रदान को भी मंजूरी दी है।
    • ईरान में भारत के चाबहार बंदरगाह के निर्माण में जापान ने निवेश का वचन दिया है।
    • एशिया क्षेत्र में जापान जिस प्रकार से शांतिपूर्ण स्थितियों को बनाए रखने और अन्य देशों की सुरक्षा में सहयोग का पक्षधर है, उसे देखते हुए अब हिंद एवं प्रशांत महासागर में अपनी गैरकानूनी गतिविधि बढ़ाने वाला चीन संतर्क हो जाएगा। इससे भारत की समुद्री सीमाओं को मजबूती मिलेगी।
  • इस करार की अन्य कुछ विशेषताएं है-
    • सन् 2008 में अमेरिका के साथ किए गए एटमी करार की तरह ही इस करार को भी खत्म करने के प्रावधान है। अगर भविष्य में भारत कोई भी परमाणु परीक्षण करता है, तो इस करार को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए दोनों देशों को राजनैतिक और आर्थिक प्रक्रिया से गुजरना होगा।

अभी तक विश्व में भारत को एक शांत परमाणु शक्ति संपन्न देश की छवि बनाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। परंतु जापान के साथ यह समझौता उसकी इस छवि को स्थापित करने की ओर एक ऐतिहासिक कदम है।

समाचार पत्रों पर आधारित।

 

 

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