सिंधु घाटी की सभ्यता के काल पर पुनर्विचार हाल ही में कुछ शोध
Date: 01-07-16
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हाल ही में कुछ शोधकताओं ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ मिलकर बहुत ही क्रांतिकारी खोज की है।
इसके अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का काल, जो अभी तक लगभग 4500-5000 वर्ष पुराना माना जाता था, अब 8000 वर्ष पुराना माना जाएगा। यह खोज निम्न मुख्य तथ्य प्रतुस्त करती है।
- इससे यह सिद्ध होता है कि भारत की सिंधु घाटी की सभ्यता मिस्त्र की (7000-3000 ई.पू.) और मेसोपोटामिया की सभ्यता (6500-3100) ई.पू.) से भी अधिक प्राचीन है।
- शोधकर्ताओं को कुछ ऐसे प्रमाण भी मिले हैं, जो हड़प्पा से पूर्व के भी किसी सभ्यता के साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। यह पूर्व-हड़प्पा वाली सभ्यता लगभग 1000 वर्ष तक चली। अनुमान है कि यह 9000-8000 ई.पू. तक चली।
- इस खोज से आर्यों के मूल स्थान को लेकर एक बार फिर से संशय की स्थिति बन जाएगी। विलियम जोन्स ने सन् 1786 में कहा था कि भारत में प्रयुक्त होने वाली संस्कृत व अन्य प्राचीन भाषाएं भारतीय-यूरोपीय सभ्यता की देन हैं। लेकिन अब प्रश्न उठेगा कि क्या वास्तव में आर्य शुरू से ही भारत के मूल निवासी थे? अभी तक भारत में भी यही पढ़ाया जाता रहा है कि आर्य 1500 ई.पू. के करीब बाहर से आए थे।
- अब यह स्थापित हो गया है कि सरस्वती नदी कोई कल्पना की उड़ान नहीं है, बल्कि एक वास्तविकता है। इसके किनारे एक महान वैदिक सभ्यता का जन्म और विकास हुआ था।
- इसके साथ-साथ यह भी सिद्ध हो गया है कि जब हजारों वर्ष पूर्व विश्व के अधिकांश भागों में मानव पाषाण युग में जीवन यापन करता था, उस समय तक भारत में शहरी सभ्यता का विकास हो चुका था। हजारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज एक साधन-संपन्न और विकसित सभ्य समाज की रचना कर चुके थे।
- शोध में यह बात सामने आई है कि सिंधु सभ्यता मौसम में बदलाव के चलते विलुप्त हो गई।
- शोधकर्ताओं का मानना है कि इस सभ्यता का फैलाव भारत के एक बड़े हिस्से में था और इसका विस्तार सरस्वती नदी के किनारे या घग्घर और हाकड़ा नदी तक था।
‘‘टाइम्स आफ इंडिया’’ एवं ‘‘दैनिक जागरण’’में प्रकाशित लेखों पर आधारित लेख
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