रोजगार का एक विकल्प: स्वास्थ्य सेवाएं

Afeias
22 Feb 2018
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Date:22-02-18

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हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या लंबे समय से चली आ रही है। देश का 50 प्रतिशत रोजगार आज भी कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर करता है। जबकि सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान मात्र 13.7 प्रतिशत है। वहीं अमेरिका में मात्र 2 प्रतिशत लोग रोजगार के लिए कृषि पर निर्भर करते हैं। हमारी कृषि अभी भी वर्षा पर निर्भर है। इसलिए यह कभी भी लाभ का व्यवसाय नहीं बन पाती है। समय आ गया है, जब हम कृषकों के परिवारों को संकट से उबारने के लिए रोजगार के अन्य विकल्प ढूंढें और गरीब जनता को भी उसमें संलग्न करें। ऐसा एक विकल्प स्वास्थ्य सेवाओं का है।

  • पूरे विश्व में 8 खरब डॉलर की पूँजी के साथ आज स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र सबसे बड़ा उद्योग बन गया है। अमेरिका और ब्रिटेन में इस क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार दिए जा रहे हैं। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा विश्व में पाँचवे नंबर का रोजगार देने वाला सबसे बड़ा उद्योग है।
  • भारत में भी नारायणा हैल्थ केयर 15,500 कर्मचारियों की नियुक्ति करता है। इसका राजस्व 1,878 करोड़ रुपये है। कर्मचारियों की यह संख्या मारूति उद्योग से भी अधिक है।
  • अच्छी स्वास्थ्य सेवा के लिए एक डॉक्टर के साथ चार नर्स, चार तकनीकी कर्मचारी और पाँच प्रशासकों का साथ जरूरी माना जाता है। इन सबको काम करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है। अमेरिका में तेजी से बढ़ते रोजगार के 20 अवसरों में से 9 स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हैं। भारत में इस प्रकार के लाइसेंस और प्रशिक्षण का कोई कार्यक्रम नहीं है।
  • भारत को 20 लाख तथा बाकी विश्व को 90 लाख नर्स की आवश्यकता है। भारत में यह काम अधिक आकर्षक नहीं है, क्योंकि इस क्षेत्र के करियर में उन्नति की संभावनाएं कम हैं। अमेरिका में 67 प्रतिशत एस्थेसिया देने का काम इस क्षेत्र में प्रशिक्षित नर्स करती हैं। जबकि भारत में 20 साल का अनुभव होने के बाद भी कोई नर्स दर्द निवारक दवा का पर्चा भी मरीज को नहीं दे सकती। यहाँ की 25 वर्षों की अनुभवी नर्स के लिए एक लाख रुपये माह का रोजगार लेना मुश्किल नहीं होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है।
  • विश्व बैंक के अनुसार आने वाले 13 वर्षों में लगभग 8 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों की आवश्यकता हो जाएगी। सबसे अच्छी बात है कि इसमें कम कौशल और बिना कौशल वाले युवाओं को भी रोजगार प्राप्त करने की संभावना रहती है।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के लिए धनी देशों के लोग बहत उत्सुक नहीं रहते। अगर हम अपने ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को इस क्षेत्र में दक्ष कर सकें, तो अच्छा होगा।
  • स्वास्थ्यकर्मियों को तैयार करने के लिए एक वैधानिक संस्था हो। यह प्रशिक्षण की व्यवस्था करे। ग्रामीण और गरीब युवाओं के लिए प्रशिक्षण का शुल्क अदा करना सबसे बड़ी चुनौती होती है। अतः सरकार या दानदाताओं को चाहिए कि वे इनके लिए लोन या ग्रांट की उचित व्यवस्था करें।
  • हमारे देश में ऐसे 5,000 अस्पताल हैं, जो स्वास्थ्य सेवाओं में प्रशिक्षण देने की क्षमता रखते हैं। इसके अलावा हम अपने 600 जिला अस्पतालों में भी ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं।

अमेरिका के कैरेबियाई क्षेत्र में 35 मेडिकल स्कूल हैं। इन स्कूलों ने शॉपिंग मॉल में ही 50,000 वर्गफीट की जगह ले रखी है। मज़े की बात यह है कि यहाँ पढ़ाने वालों में अधिकतर भारतीय हैं।देश के नक्सलवादी क्षेत्रों के 60 जिला अस्पतालों को 50 करोड़ के निवेश से डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिक्स तैयार करने का केन्द्र बनाया जा सकता है। इन्हें अमेरिका और ब्रिटेन की प्रवेश परीक्षा के लिए भी तैयार किया जाए। इस प्रकार हम ग्रामीण बेरोजगारी से निपटने के कुछ प्रयास कर सकेंगे।

‘मेक इन इंडिया’ की तरह ही ‘सर्वड् बाई इंडियन्स’ नामक एक मिशन चलाया जा सकता है। इस क्षेत्र में क्यूबा और फिलीपींस ने बाजी मार रखी है। क्यूबा के 45,000 डॉक्टर और नर्स मध्य अमेरिका में काम कर रहे हैं। फिलीपींस की भी 1, 50,000 नर्स और 18,000 डॉक्टर विदेशों में अच्छी कमाई कर रहे हैं। हमें भी इस दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित देवी शेट्टी के लेख पर आधारित।