मानव रोजगार कम करते रोबोट
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विश्व में रोबोट का बाज़ार लगातार बढ़ता जा रहा है। रोबोट का आविष्कार वास्तव में इस दृष्टि से किया गया था कि ऐसे खतरनाक काम जो मनुष्य नहीं कर सकता था, उसके लिए दुष्कर हो, उन्हें रोबोट आसान कर दे। आज तरह-तरह के नए रोबोट बनाए जा रहे हैं, जो मानवोपयोगी भी हैं और रोचक भी। हाल ही में रूस ने अंतरिक्ष में मजदूरी करने वाला एक रोबोट तैयार किया है। ये रोबोट वजन उठाने के साथ कांक्रीट में ड्रिल, नट-बोल्ट लगाने, कार चलाने जैसे काम के साथ जरूरत पड़ने पर इंजेक्शन भी लगा सकते हैं।
आज के रोबोट मैकेनिक, इलैक्ट्रीशियन और डॉक्टर भी बन सकते हैं। जापान का रोबोट एच.आर.पी-4सी फैशन मॉडल जैसा है। वहीं पी.ए.आर.ओ. नर्सिग होम में काम आता है। ऐसा भी रोबोट है, जो वायलिन बजा सकता है।रोबोट के बहुत से काम कर लेने की क्षमता के कारण ये मानव रोज़गार के लिए खतरा भी बनते जा रहे हैं। यह बात वल्र्ड इकॉनामिक फोरम ने कही थी कि आने वाले पाँच वर्षों में विश्व के विकसित देशों में लगभग 51 लाख नौकरियां कम हो सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन इस संदर्भ में पहले ही चिंता जता चुका है कि वर्ष 2020 तक रोज़गार के अवसरों में वैश्विक स्तर पर 110 लाख तक की कमी आ सकती है। द इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2014 में करीब 2,30,000 रोबोट बेचे गए थे। पिछले 10 सालों के मुकाबले में यह आंकडा दुगुना है। वर्तमान में चीन रोबोट का सबसे बड़ा बाजार है। रोबोट की संख्या जिस तेजी के साथ बढ़ रही है, उसके अनुसार सन् 2017 के अंत तक रोबोट की संख्या विश्व-जनसंख्या के 22 प्रतिशत के बराबर हो जाएगी।
- रोबोट की होड़ में भारत की स्थिति
देश में करीब 12,000 रोबोट हैं। यद्यपि हमारी श्रमशक्ति का आकार चीन के समान है। लेकिन सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में हम पीछे हैं। चूंकि चीन में हाल में मेहनताने में बहुत वृद्धि हुई है, इसलिए रोबोट का बाज़ार बढ सकता है। परंतु भारत की स्थिति अलग है। यहाँ मजदूरों के दैनिक वेतन में ऐसी कोई वृद्धि देखने में नहीं आती, जिसे रोबोट की तुलना में महंगा माना जाए।दुनिया के कई देशों में रोबोट बनाने का काम तेज़ी से हो रहा है। इससे भविष्य में उद्योगों में काम करने वाले रोबोट इंसानों के लिए खतरा बन सकते हैं।
समाचार पत्रों पर आधारित।