युवा बेरोजगारी की चिंताजनक स्थिति
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- अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और मानव विकास संस्थान द्वारा प्रकाशित भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत की कुल बेरोजगारी जनसंख्या में 83% युवा हैं।
- चिंताजनक बात यह है कि माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त बेराजगार युवाओं की संख्या पिछले दो दशकों में लगभग दोगुनी हो गई है।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कहा गया है कि केवल आधे युवा ही स्नातक होने के बाद नौकरी के लिए तैयार माने जाते हैं।
इसका कारण –
- नियोक्ता की मांग के अनुसार डिजिटल और पेशेवर कौशल की कमी है। 75% युवा बुनियादी डिजिटल काम नहीं कर पाते हैं।
- एआई के बढ़ते खतरे में रोजगार के कई पारंपरिक साधन विस्थापन के खतरे में हैं।
- भारत का कार्यबल मुख्यतः अनौपचारिक बना हुआ है। रोजगार रिपोर्ट 2024 के अनुसार, लगभग 90% रोजगार अनौपचारिक हैं। 2018 से वेतन भोगी, नियमित नौकरियों का अनुपात घट रहा है।
विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट –
- ‘रोजगारों का भविष्य रिपोर्ट 2025’ में रोजगार की गतिशीलता में बड़े बदलावों का अनुमान लगाया गया है।
- 2030 तक 17 करोड़ नए रोजगार सृजित होने का अनुमान है। यह कुल रोजगार का 14% है।
क्या करे भारत –
- उद्योग और शिक्षा जगत के बीच मजबूत सहयोग बनाना चाहिए।
- शैक्षणिक संस्थानों को केवल डिग्री के लिए नहीं, बल्कि प्लेसमेंट के लिए भी जवाबदेह होना चाहिए।
- आइडिया लैब और टिंकरलैब को हाईस्कूल और उच्च शिक्षा संस्थानों में अनिवार्य बनाना चाहिए।
- मानविकी, विदेशी भाषा शिक्षण और सॉफ्ट स्किल्स का एकीकरण शिक्षा के सभी स्तरों पर अनिवार्य किया जाना चाहिए।
- पश्चिमी देशों में बढ़ती सेवाओं की मांग के अनुरूप युवाओं का कौशल विकसित किया जाना चाहिए।
ज्ञातव्य हो कि अंतरराष्ट्रीय प्रवासन एवं विकास संस्थान वर्तमान में यूरोपीय संघ की लिंक फॉर स्किल्स परियोजना में भारतीय भागीदार के रूप में काम कर रहा है।
- रोजगार में आ रहे परिवर्तनों को गति देने के लिए भारतीय शिक्षा सेवा की स्थापना की जानी चाहिए। यह शिक्षा क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करेगी।
- शिक्षा प्रणाली को उद्योग जगत के पेशेवरों के लिए द्वार खोलने चाहिए। इससे सिद्धांत और व्यावहारिकता के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित एस. इरूदया राजन और एस.पी. मिश्रा के लेख पर आधारित। 14 जुलाई, 2025