यौनकर्मियों के अधिकारों के लिए कदम उठाए जाएं  

Afeias
11 Jul 2022
A+ A-

To Download Click Here.

हाल ही में बुद्धदेव कर्मस्कार बनाम पश्चिम बंगाल सरकार व अन्य मामले में, उच्चतम न्यायालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अंतरिम निर्देश देते हुए कहा है कि यौनकर्मियों और उनके बच्चों को सम्मान और मानवीय गरिमा के साथ जीने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। इस हेतु उच्चतम न्यायालय ने जुलाई 2011 में पैनल बनाया था। इस पैनल के अध्यक्ष ने सिफारिश की थी कि जो यौनकर्मी इस पेशे को अपनाए रखना चाहते हैं, उन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 के प्रावधानों के अनुसार गरिमामयी जीवन जीने का अधिकार दिया जाए।

पैनल की दस सिफारिशों में से चार के बारे में सरकार को कुछ आपत्तियां थीं। अतः न्यायालय ने छह सिफारिशों के साथ-साथ अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956 के प्रावधानों को लागू करने का निर्देश दिया है।

कुछ बिंदु – (छह सिफारिशें; जो मान्य हुईं)

  • यौन शोषण के शिकार यौनकर्मियों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करना।
  • अनैतिक व्यापार अधिनियम के अंतर्गत, हिरासत में लिए गए वयस्क यौनकर्मियों को सुरक्षित बंदीगृहों से रिहा करना।
  • यौनकर्मियों के सम्मान के साथ जीने के अधिकारों के बारे में पुलिस और अन्य कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को संवेदनशील बनाना।
  • भारतीय प्रेस परिषद् को मीडिया को यह दिशानिर्देश जारी करने के लिए कहना कि वे यौनकर्मियों की पहचान का खुलासा न करें।
  • यौनकर्मियों द्वारा अपनाए गए स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों को अपराध के साक्ष्य के रूप में नहीं माना जाए।
  • केंद्र और राज्य सरकारों के कानूनी सेवा प्राधिकरण, यौनकर्मियों को उनके अधिकारों व उनके पेशे की वैधता के संबंध में शिक्षित करें।

इनके अलावा जिन सिफारिशों पर सरकार स्पष्ट नहीं हो सकी है, उनमें ‘यौन शोषण’ या व्यावसायिक उद्देश्य के लिए ‘व्यक्तियों का शोषण’ जैसे घटक हैं। यह विवादित नहीं है कि देह व्यापार में महिलाओं को अपराधियों के बजाय प्रतिकूल परिस्थितियों के शिकार के रूप में अधिक देखा जाना चाहिए। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह वेश्यावृत्ति और यौनकर्मियों के काम के बीच अंतर करे, और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए, कुछ शर्तों के साथ, स्वैच्छिक यौन कार्य की अनुमति देने पर विचार करे।

सभी कानूनों और नीतियों के साथ, हम एक समाज के रूप में वेश्यावृत्ति को रोकने में विफल रहे हैं। इसलिए सरकार अब न्यायालय के निर्देशों का उपयोग यौनकर्मियों की स्थिति, उनके माहौल में सुधार, पुनर्वास की सुविधा और लागू कानूनों की स्पष्टता लाने और उन्हें युक्तिसंगत बनाने के लिए कर सकती है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित आर. के.विज के लेख पर आधारित। 7 जून, 2022