पर्यावरण सूचकांक का भारत पर प्रभाव

Afeias
12 Jul 2022
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6 जून को जारी किए गए पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) 2022 के 180 देशों में भारत का 180वां स्थान है। यह सूचकांक पर्यावरणीय स्वास्थ्य की रक्षा, पारिस्थितिकी तंत्र की जीवन शक्ति को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का शमन करने के देशों के प्रयासों पर आधारित होता है। भारत सरकार ने इस सूचकांक के कुछ अनुमानों को गलत और अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित बताया है।

भारत की आलोचना का आधार –

  • सरकार ने इस सूचकांक में समानता के सिद्धांत (इक्विटी प्रिंसिपल); जो जलवायु परिर्वतन से निपटने के वैश्विक प्रयास का आधार है, की अनुपस्थिति या कम वेटेज को मुद्दा बनाया है।
  • सरकार की प्रतिक्रिया इस आधार पर भी है कि अक्सर ऐसे कई सूचकांक को निवेशक इनपुट के रूप में उपयोग में ले लेते हैं। इससे देश की छवि खराब हो सकती है।

यहाँ सवाल यह उठता है कि इस प्रकार की रिपोर्ट या सूचकांक भारत के अपने उद्देश्यों में आगे बढ़ने पर कितना प्रभाव डालती हैं ? क्या सरकार के लिए यह संभव नहीं है कि वह अपने प्रयासों, नीतियों योजनाओं और उनके कार्यान्वयन में आने वाली दरारों या कमियों को समय-समय पर सार्वजनिक करती रहे। पारदर्शिता के प्रयासों और परिणामों की जानकारी सुलभ और सत्यापन योग्य हो। यह देश के पर्यावरणीय प्रदर्शन की बेहतर तस्वीर प्रस्तुत करने में मदद करेगा।

देश को इस बात का आत्म-मूल्यांकन करने की आवश्यकता है कि उसका पर्यावरणीय प्रदर्शन क्या वहाँ है, जहाँ होना चाहिए।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 11 जून, 2022

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