वैल्थ फ्रॉम वेस्ट (धान के ठूंठ से लाभ)
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पंजाब के संगरूर जिले में एक निजी कंपनी के पहले जैव ऊर्जा संयंत्र की वाणिज्यिक उद्देश्य से शुरूआत की जा रही है। यह पराली या धान के ठूंठ से कंप्रैस्ड बायो गैस का उत्पादन करेगी। इस प्रकार कृषि के अपशिष्ट से लाभ कमाने का यह प्रयास अन्य कंपनियों का भी उत्साहवर्धन करेगा। इस प्रयास से पड़ने वाले प्रमुख
प्रभाव –
- नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति के लिए कृषि क्षेत्र में उठाया गया यह महत्वपूर्ण कदम है।
- पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान हर वर्ष इस धान के ठूंठ को जलाकर खेतों को नई फसल के लिए तैयार करते हैं। इससे निकलने वाले धुएं से दिल्ली, एनसीआर व आसपास के राज्यों में प्रदूषण का प्रकोप जान लेवा हो जाता है। अपशिष्ट को संयंत्रों के बेचे जाने से इससे कुछ राहत मिल सकेगी।
अन्य प्रयास एवं लाभ –
- बायोमास बिजली परियोजनाओं और थर्मल पावर प्लांट में को.फायरिंग के अलावा, 2जी एथेनॉल प्लांट में फीडस्टॉक के रूप में पराली का उपयोग बढ़ाए जाने की कार्य योजना बनाई गई है। इसे औद्योगिक बॉयलर में ईंधन के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। साथ ही पैकेजिंग मटेरियल बनाने में भी उपयोग किया जा सकता है।
- फूड एण्ड एग्रीकल्चरल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ यूनाइटेड नेशन्स ने इसके उपयोग पर अध्ययन के बाद सिफारिश की है कि पंजाब में अपशिष्ट के एकत्रीकरण, भंडारण और उसके अन्य उत्पादक सेवाओं तक पहुंचने के लिए एक आपूर्ति श्रृंखला बनाई जानी चाहिए। यह श्रृंखला नवीकरणीय ऊर्जा में अपशिष्ट के उपयोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।
- परिणाम के अनुमान बताते है कि पंजाब के धान के 30% ठूंठ के उपयोग के लिए लगभग 2201 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कम हो जाएगा। यह लगभग 97 लाख टन कार्बन.डाइ आक्साइड के बराबर होगा।
- भविष्य में धान के ठूंठ को बेचकर किसानों की कमाई भी बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है।
- इससे बनने वाली कंप्रैस्ड बायो गैस का उपयोग परिवहन के माध्यमों और छर्रों का उपयोग थर्मल पावर प्लांट में किया जा सकता है।
- पंजाब के 30% ठूंठ में से अगर 5% का भी बायो गैस में उपयोग हो जाता है, तो सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टूवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रास्पोर्टेशन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
- कम्प्रैस्ड बायोगैस से जो जैविक खाद प्राप्त होगीए वह कार्बनिक पदार्थों की भारी कमी वाली मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के काम में लाई जा सकेगी।
- यह संयंत्र बड़े पैमाने पर ग्रामीण रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। इससे पंजाब की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
कई अन्य फसलों के ठूंठ में धान के ठूंठ की अपेक्षा अधिक ऊर्जा होती है। भविष्य में अन्य योजनाओं से अधिक सार्थक परिणाम प्राप्त कि, जा सकते हैं। कुल मिलाकरए बायोगैस का यह संयंत्र पर्यावरणीय लाभ, नीवकरणीय ऊर्जा, अर्थव्यवस्था, किसानों की आय और स्थिरता के लिए मूल्यवर्धन का द्वार है।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित रमेशचंद और कोण्डा रेड्डी चावा के लेख पर आधारित। 26 अक्टूबर, 2022
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