वातावरण की शुद्धि और हरित ऊर्जा

Afeias
05 Aug 2021
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Date:05-08-21

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अब से कुछ महीने पश्चात्, दीपावली के आसपास, उत्तर भारत के खेतों में ठूंठ के जलने से होने वाला वायु प्रदूषण असहनीय हो जाएगा। प्रतिवर्ष ऐसा होता है। इस हेतु एक ऐसे हरित प्रोत्साहन (ग्रीन स्टिम्यूलस) की आवश्यकता है, जो मांग बढ़ाए , वायु प्रदूषण को नियंत्रित करे और परंपरागत ऊर्जा साधनों से हमें हरित ऊर्जा संसाधनों की ओर ले जाए।

  • ठूंठ के जलने से होने वाले वायु प्रदूषण को टालने के लिए इसकी बिक्री को संभव बनाया जाना चाहिए। इस ठूंठ को ब्रिकेट में परिवर्तित करके, थर्मल प्लांट में कोयले की जगह इस्तेमाल में लाया जा सकता है। एनटीपीसी ने सफलतापूर्वक ऐसा कर दिखाया है।
  • इलैक्ट्रिक वाहनों की उपलब्धता बढ़ रही है। इनमें वायु प्रदूषण नहीं होता है। अपने जीवनकाल में ये वाहन प्रति कि.मी. सस्ते भी पड़ते हैं। सरकारों को चाहिए कि इनकी मांग बढ़ाने के लिए जगह-जगह चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था करें। शहरों में इलैक्ट्रिक बसें चलाने हेतु ऋण उपलब्ध कराएं ।
  • सौर ऊर्जा को वहनीय और लोकप्रिय बनाने के लिए इससे जुड़ी एक राष्ट्रीय नीति बनानी होगी, जिसके माध्यम से राज्य अपनी बिजली वितरण कंपनियों को लाभकारी दर पर सौर ऊर्जा उपलब्ध करा सकें।

जर्मनी ने फीड-इन टैरिफ या लाभकारी दरों के माध्यम से सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाकर विश्व में अग्रणी भूमिका निभाई है।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी के बढ़ते उपयोग के साथ गोबर के कंडों का जलना बहुत कम हो गया है। गोबर-गैस के प्रयोग को बढ़ाकर इससे परिवहन एवं खाना बनाने आदि में ईंधन की बचत की जा सकती है। भारत में उत्पन्न होने वाले गोबर को व्यावसायिक इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए।

उपरोक्त सभी तरीके हरित प्रोत्साहन का हिस्सा बन सकते हैं, जिनका प्रभाव दीर्घकालीन और कई गुना अधिक हो सकता है।

समाचार पत्र व अन्य स्रोतों पर आधारित।

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