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विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका के बाहर निकलने का प्रभाव
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हाल ही में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपने को अलग करने की घोषणा की है। अगले 12 महीने के समय में यह प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी। इसके पीछे संगठन पर कोविड-19 महामारी को ठीक से न संभालने और चीन के प्रति पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाया है। अब सवाल यह है कि अमेरिका के इस कदम से वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य पर क्या और कितना प्रभाव पड़ेगा –
- अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन का संस्थापक सदस्य है। संगठन को अमेरिका से लगभग 18% निधि का योगदान मिलता है। इस निधि के न होने से दुनिया भर में चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इनमें एचआईवी/एड्स, तपेदिक और कुछ संक्रामक रोगों का उन्मूलन कार्यक्रम शामिल है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया भर के लोगों को जीवन-रक्षक दवाएं उपलब्ध कराता है। यह मजबूत स्वास्थ्य तंत्र का निर्माण करने, बीमारी के प्रकोप का पता लगाने और रोकथाम में मदद करता है। इन सब सुविधाओं में कटौती होने की आशंका हो जाएगी।
- किसी भी तरह के स्वास्थ्य आपातकाल देशों के बीच सहयोग और तकनीक का खुला आदान-प्रदान आवश्यक है। यह तथ्य अमेरिका पर भी लागू होता है।
अतः विश्व स्वास्थ्य संगठन को अधर में लटका छोड़ने से विश्व के साथ-साथ अमेरिका का अपना नुकसान भी हो सकता है। उम्मीद है कि वह अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेगा।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 24 जनवरी, 2025
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