विकास में बाधा बन रहे भूमि विवादों को निपटाना जरूरी

Afeias
11 Apr 2025
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तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को शहरों, राजमार्गों, हवाई अड्डों, कारखानों, खनन और अन्य निर्माण के लिए भूमि की आवश्यकता है। इससे जुड़ी समस्याओं पर कुछ बिंदु –

  • विकास कार्यों के लिए भूमि की आवश्यकता है। लेकिन भारत में भूमि जोत आमतौर पर बहुत छोटी होती है। इसके अलावा, भूमि का स्वामित्व इतना उलझा हुआ है कि भूमि-अधिग्रहण बड़ी बाधा बन जाता है।
  • एक डेटा के अनुसार लगभग 1 करोड़ के आसपास भारतीय भूमि विवादों में फंसी हुई हैं।
  • लगभग 396 अरब डॉलर का निवेश केवल भूमि विवाद के चलते रुका हुआ है।
  • लगभग 50,000 वर्ग कि.मी. भूमि विवादग्रस्त है।
  • 2019 में थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च ने बताया था कि भूमि-विवाद के मामलों को निपटाने में लगभग 20 वर्षों का समय लग सकता है।
  • आए दिन किसान अधिग्रहित भूमि का पर्याप्त मुआवजा न मिलने की शिकायत करते रहते हैं। हाल ही में, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मुंबई के एक गाँव में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए भूमि-अधिग्रहण को इसी आधार पर रद्द कर दिया है।

हालांकि, हर भूमि विवाद का अंत कोर्ट में नहीं होता है। आखिरकार उत्तर प्रदेश ने बातचीत के माध्यम से जेवर में एक नया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने में असफता प्राप्त कर ही ली। भारत को वार्षिक 8% से अधिक की वृद्धि करने के लिए भूमि सुधार की नितांत आवश्कयता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 11 मार्च, 2025