
विकास के लिए जलवायु को केंद्र में रखें
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2024 वैश्विक स्तर पर और भारत में भी अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा है। मौसम के अति की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसलिए 2025 के बजट में जलवायु की अनिश्चितता से जुड़े बजट आवंटन का ध्यान रखा गया है।
कुछ बिंदु –
- आरबीआई ने अनुमान लगाया है कि हीटवेव, सूखा, बाढ़ तथा घटते भू-जल जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण 2030 तक जीडीपी पर 3% की मार पड़ सकती है।
- भारत को भरोसेमंद बुनियादी ढांचे को बनाए रखने, वायु और जल के और अधिक क्षरण को रोकने में निवेश करना चाहिए।
- गत वर्ष जलवायु संबंधी वित्त वर्गीकरण की घोषणा की गई थी। इसको अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। इससे जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन और अनुकूलनशीलता बढ़ेगी।
- सार्वजनिक परिवहन और स्वच्छ ऊर्जा में निवेश बढ़ाया जाना चाहिए।
- कार्बन को कम करने के किफायती समाधानों के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश किया जाना चाहिए। इसे अन्य विकासशील देश भी अपना सकेंगे।
- कम-कार्बन वाले विकास इंजन को अपनाए जाने में तेजी लाई जानी चाहिए। इससे उद्योगों में निवेश बढ़ने की उम्मीद है। इससे रोजगार सृजित हो सकते हैं।
अर्थव्यवस्था को हरित बनाना ही सुरक्षा और दीर्घकालिक विकास का एकमात्र रास्ता है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 20 जनवरी, 2025