वैश्विक त्रिकोण में फंसा भारत

Afeias
09 Jul 2021
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Date:09-07-21

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अमेरिका-चीन-रूस के बीच संबंधों को लेकर भारत बड़ी विकट स्थिति में फंसा हुआ है। एक तरह से यह भारत की विदेश नीति के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसका पहला कारण अमेरिका और रूस के संबंधों का बहुत खराब स्थिति में होना है। दूसरे, यूरोप में रूस की सैन्य शक्ति पर बढ़ते पश्चिमी दबाव के चलते रूस चीन के करीब आ रहा है। तीसरे, पश्चिमी देश चीन को भू-राजनीतिक प्रतिद्वंदी के रूप में देख रहे हैं। इससे चीन-अमेरिका के संबंध काफी खराब हो रहे हैं। यह सब भारत के लिए अपने हितों के प्रबंधन की चुनौती प्रस्तुत करता है।

चीन को नियंत्रित करने के किसी भी कदम में भारत संभावित रूप से पश्चिम का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है। क्वाड का विकास इसका एक उदाहरण है। लेकिन चीन के साथ गंभीर शत्रुता की स्थिति में भारत पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर नहीं रह सकता। इसलिए, भारत को स्वय भी एक सशक्त चीन नीति विकसित करनी होगी। गलवान संघर्ष ने इसका प्रमाण भी दिया है कि दोनों देशों के बीच शक्ति की भारी विषमता के बावजूद भारत इसके लिए सक्षम है। इस संदर्भ में, रूस से हथियार और रक्षा जानकारी भारत के लिए बहुत उपयोगी हैं, लेकिन भारत के अमेरिका के साथ बढ़ते संबंध, रूस के लिए सुखदायी नहीं हैं। रूसी नेतृत्व ने खुले शब्दों में क्वाड की आलोचना तो नहीं की है, परंतु वह कथित तौर पर पाकिस्तान के साथ अपने रक्षा-संबंधों का विस्तार कर रहा है।

यदि अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिम और चीन रूस दो स्पष्ट भू-रणनीतिक ध्रुव बन जाते हैं, तो भारत के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। चीन इसका फायदा उठाने से बिल्कुल भी गुरेज नहीं करेगा।

भारत अमेरिका के आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए व्यापार समझौतो की गति बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसके अलावा अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही भारत को वहां रूस की मदद की जरूरत पड़ सकती है। भारत के लिए अमेरिका और रूस के संबंधों का ठीक रहना ही श्रेष्ठतम स्थिति है। अमेरिका के लिए भी चीन-रूस के बीच संयोजन का न होना अच्छा है। अमेरिका के लिए चीन पर अपना रणनीतिक फोकस बनाए रखना जरूरी है। रूस इतना मजबूत नहीं है कि वह चीन के लिए वैश्विक बाधा बन सके।

भारत जो चाहता है, उसे वह तब तक नहीं मिल सकता, जब तक वह अपनी अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे नहीं बढ़ाता है। अगले 10 वर्षों तक 8% की वार्षिक दर से विकास करके वह अमेरिका-चीन-रूस के बीच चल रहे विवादों से अलग होकर शांत रह सकने की स्थिति में होगा।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 18 जून, 2021

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