ऊर्जा का बेहतर विकल्प – हाइड्रोजन

Afeias
09 Mar 2021
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Date:09-03-21

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हरित ईंधन की दिशा में सरकार अनेक पहल और प्रयास कर रही है। हाल ही में सरकार ने कार्बन उत्सर्जन कम करने वाले ईंधन के रूप में हाइड्रोजन को प्रमुखता देनी शुरू की है। 2021-22 के बजट में नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन की घोषणा इसका प्रमाण है।

कुछ बिंदु –

  • हरित स्रोतों से प्राप्त हाइड्रोजन, जिसे ग्रीन हाइड्रोजन भी कहा जाता है, के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार का कहना है कि उर्वरक यूनिट, तेल शोधन संयंत्रों और स्टील प्लांट में इसके उपयोग को जल्द ही अनिवार्य कर दिया जाएगा।
  • हाइड्रोजन का उपयोग करके ग्रे हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है।
  • इंडियन ऑयल कार्पोरेशन भी कुछ समय से ऊर्जागहन इलेक्ट्रोलिसिस और उच्च दबाव सम्मिश्रण लागतों को दरकिनार करके, प्राकृतिक करने के लिए अपनी पेंटेट कॉम्पैक्ट सुधार प्रक्रिया का उपयोग कर रहा है।

इस ईंधन से सीएनजी पर चलने वाली बसों से कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।

  • हाइड्रोजन ईंधन अधिक कॉम्पैक्ट, कुशल और लागत-प्रभावी है। बड़े पैमाने पर इनके आयात की भी आवश्यकता नहीं होगी।
  • नगरपालिका के कचरे और बायोमास के जरिए बायोमीथेन बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि 95% बायोमीथेन को सीएनजी माना जाता है। यह परिवहन के साधनों के लिए उपयुक्त है। इसका दूसरा स्वरूप हाइड्रोजन मिश्रित सीएनजी होता है।
  • निकट भविष्य में, हाइड्रोजन ईंधन सेल ऑटोमोबाइल के लिए एक अत्यंत आशाजनक विकल्प है।
  • इलैक्ट्रिक वाहन (विशेषरूप से भारी वाहन) ईंधन कोशिकाओं पर अच्छी तरह से चल सकते है।
  • लागल-प्रभावी हरित हाइड्रोजन, तेल और इस्पात जैसे ऊर्जा गहन उद्योगों में कार्बन उत्सर्जन को काफी कम कर सकता है।

अतः हाइड्रोजन के सभी संभव स्रोतों की तलाश की जानी चाहिए। इसमें बायोमास और जीवाश्म ईंधन जैसे स्रोतों से इसकी खोज पहले ही की जा रही है। अन्य साधनों से भी इस ईंधन को ढूंढा जाना चाहिए, जिससे बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सके।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित सम्पादकीय पर आधारित। 20 फरवरी, 2021