शंघाई सहयोग संगठन या एससीओ से जुड़ना कितना सार्थक
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शंघाई सहयोग संगठन से भारत 2017 में जुड़ा था। इस यूरेशियन समूह से जुड़ने के भारत के अपने कुछ निहितार्थ थे। इस पर कुछ बिंदु –
- इसके सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का एक तिहाई बनाते हैं।
- वैश्विक व्यापार का पांचवा हिस्सा इन सदस्य देशों की देन है।
- वैश्विक तेल भंडार का पांचवा हिस्सा और प्राकृतिक गैस भंडार का 44% समूह के सदस्य देशों के पास है।
- इस समूह से जुड़कर भारत को पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और चीन की आक्रमकता जैसे क्षेत्रीय सुरक्षा मामलों पर मदद मिलने की संभावना रही है।
- समूह के देशों के साथ संपर्क साधने में मदद मिली है।
- क्षेत्रीय स्तर पर आतंकवादरोधी ढांचा खड़ा किया जा सका है।
- भारत की मध्य एशिया के बाजारों और संसाधनों तक पहुंच बढ़ी है।
अंततः संगठन में शामिल होना भारत की घोषित महत्वाकांक्षाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। बहुपक्षीय समझौतों और रणनीतिक स्वायत्तता के माध्यम से भारत विश्व में एक प्रकार का शक्ति-संतुलन स्थापित करना चाहता है। यह भारत की आर्थिक आवश्यकता भी है। इसके अलावा जी-20 समूह की संयुक्त विज्ञप्ति पर भारत आम सहमति बनाना चाहता है। इसपर चीन और रूस के विरोध के मद्देनजर एससीओ एक ऐसा मंच है, जो भारत को बातचीत करने का अवसर देता है।
‘द हिन्दू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 6 जुलाई, 2023