सेवा-निर्यात में बढ़ता भारत
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बीते कुछ दशकों में सेवा-निर्यात की तीव्र गति भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य रहा है। इसकी दो सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं –
- अन्तरराष्ट्रीय व्यापार घाटे को कम करना, तथा
- देश में रोजगार निर्माण करना।
भारतीय रिजर्व बैंक के अप्रैल 2024 के मासिक रिपोर्ट में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि पिछले तीन दशकों (1993-2022) के बीच डॉलर के रूप में भारत का सेवा-निर्यात 14 प्रतिशत से अधिक समेकित वार्षिक दर से बढ़ा है।
सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 0.5 प्रतिशत से बढ़कर 4.3 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
इसके कारण भारत विश्व में सातवां सबसे बड़ा सेवा निर्यातक देश बन गया, जो सन् 2001 में 24वें स्थान पर था।
इस सफलता का श्रेय निम्न कारणों को दिया जा सकता है –
- इस दौरान हुई देश की तकनीकी प्रगति।
- भारत में अंग्रेजी जानने वालों की पर्याप्त संख्या।
- इंजीनियरिंग के अध्यापन कराने वाले महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थान।
- मजबूत घरेलू बुनियादी डिजिटल ढाँचा। तथा
- सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित सरकार की नीतियां।
इन्हीं कारणों से भारत वैश्विक सेवा व्यापार में अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता प्रदर्शित कर सका है, विशेषकर दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित क्षेत्रों में।
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