सेमीकंडक्टर : नए विश्व का हीरो

Afeias
29 Jul 2022
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हमारी दुनिया डिजिटल रूप से परस्पर जुड़ी हुई है। इसको सफल बनाने में सेमीकंडक्टर हमारे निरंतर साथी हैं। ये हमारी मुस्कान को स्टोर करते हैं, हमें हमारे प्रियजनों से जुड़ने में मदद करते हैं, और यहां तक कि जब हम सो रहे होते हैं, तो हमारे महत्वपूर्ण संसार की निगरानी में सहायता करते हैं। आइए, इस महत्वपूर्ण चालक की तकनीक को समझने की कोशिश करते हैं –

चिप को डिकोड करना –

एक चिप में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होते हैं। सभी चिप्स का अपना कार्य होता है। ये चिप्स डेटा को इष्टतम गति से स्टोर, ट्रांसमिट और प्रोसेस करते हैं। इसके लिए उन्हें उन उपकरणों की आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए टवीक किया जाता है, जिसमें वे फिट होते हैं। तदनुसार, चिप्स को मोटे तौर पर लॉजिक और मेमोरी में बांटा जा सकता है।

लॉजिक चिप्स का उद्योग बहुत बड़ा है। ये सूचना को संसाधित करते हैं, जबकि मेमोरी चिप्स को जानकारी संग्रहीत करने के लिए डिजाइन किया गया है। प्रोसेस, ग्राफिक कार्ड आदि लॉजिक चिप्स के उदाहरण हैं। रैम तथा एमडी कार्ड मेमोरी चिप्स के उदाहरण हैं।

सेमींकडक्टर का निर्माण –

एक चिप को बनाने में गहन और जटिल प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला होती है। इसमें सटीकता और बड़े पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है। इसके निर्माण की प्रक्रिया एक मल्टी-स्टेप और श्रम गहन होती है। इसके इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बहुत विशिष्ट और अत्यधिक नियंत्रित वातावरण में बनाए जाते हैं।

भविष्य की प्रौद्योगिकी का मूल –

ए आई और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों के प्रसार से सेमीकंडक्टर का महत्व बहुत बढ़ गया है। कोविड महामारी के दौरान इसका महत्व अधिक स्पष्ट हुआ, जब दुनिया एक ठहराव पर आ गई थी, और आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता डिजिटल था।

सेमीकंडक्टर ने हमें नई वास्तविकता की ओर अग्रसर किया है। इसने सुपर कंप्यूटरों को भी संचालित किया है। इससे कोविड वैक्सीन का तेजी से विकास संभव हो सका है।

चिप प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति –

  • सन् 2020 में भारत 54 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक सामान का आयात करता था। इसका एक बड़ा भाग चीन से आता था।
  • भारत के पास सेमीकंडक्टर के स्वदेशीकरण के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। इसका प्रभाव दूरसंचार, रक्षा, अंतरिक्ष, इंटरनेट निगरानी, बिजली तथा ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों पर सकारात्मक होगा।
  • मांग के लिहाज से 2020 में भारत में सेमीकंडक्टर की खपत 20 अरब डॉलर की थी, और यह 15 फीसदी (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) सीएजीआर से बढ़ रही है।
  • इस संबंध में सरकार का सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम, सेमीकंडक्टर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम है। यह कंपनियों को वित्तीय और गैर-वित्तीय प्रोत्साहन भी दे रहा है। इसकी सफलता ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ के लिए भी प्रोत्साहन का काम करेगी। यह वैश्विक वैल्यू चेन से भारत को जोड़ने का भी काम करेगी।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित सागर शर्मा और उर्मी तत के लेख पर आधारित। 30 जून, 2022

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