
सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए भारत की तैयारी
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सरकार की प्रोत्साहन नीति की कुछ शर्तें हैं –
- आवेदक को 65/45/28 नैनोमीटर के नोड फैब या उत्पादन ग्रेड लाइसेंस प्राप्त प्रौद्योगिकियों का अधिकारी होना चाहिए।
- एक विशेष सीमा या क्षमता की प्रसंस्करण क्षमता होनी चाहिए। वेदांता के मामले में वह इसके लिए अपने ताइवानी साझेदार पर निर्भर है।
इस निवेश के फलित होने और ग्रीनफील्ड सिलिकॉन फैब के तैयार होने तक भारत को अपने मोहाली के ब्राउनफील्ड फैब की धीमी गति को फास्टट्रैक करना होगा। सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में व्यवसायीकरण में प्रतिस्पर्धा के लिए भारत सरकार मोहाली कंडक्टर प्रयोगशाला या एससीएल को संसाधित कर सकती है। इस प्रयोगशाला में वैश्विक मांग के अनुरूप चिप्स तैयार कर सकने की क्षमता है। इस क्षमता के साथ भारत एक या दो साल में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सकता है। अतः सरकार को इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ना चाहिए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित अरुण मम्पाझी के लेख पर आधारित। 15 सितम्बर, 2022