सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत की क्रांति

Afeias
04 Oct 2025
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अपने शुरूआती दिनों में कंप्यूटर इतने आकर्षक नहीं होते थे। वे पुराने टेलीफोन एक्सचेंज जैसे दिखते थे। अब छोटे से सेमीकंडक्टर चिप के कारण ये कंप्यूटर छोटे व आकर्षक होने लगे हैं। इन चिप्स का प्रयोग मोबाइल, कार, टीवी, फ्रिज, हवाईजहाज आदि में होता है। ये चिप्स आपकी उंगली में फिट होकर आपके दिल की सेहत भी नाप सकते हैं।

सेमीकंडक्टर से जुड़े कुछ प्रमुख बिंदु –

  • आज इलेक्ट्रानिक, दूरसंचार, रक्षा अनुसंधान, पावर ग्रिड, सेटेलाइट हर जगह सेमीकंडक्टर का प्रयोग है। इसके बिना डिजिटल अर्थव्यवस्था की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अगर हम सेमीकंडक्टर का उत्पादन स्वयं से नहीं करते, तो डाटा प्रोसेसिंग, एआई, नवीकरणीय ऊर्जा और सुरक्षित रक्षा प्रणाली सहित बहुत सी चीजों में दूसरों पर निर्भर होंगे।
  • इस चिप का उत्पादन गिने-चुने देशों में ही होता है। इसीलिए कोविड के समय जब ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हुई, तो सेमीकंडक्टर से जुड़े उद्योगों को बहुत नुकसान हुआ।
  • भारत में 65 करोड़ से ज्यादा स्मार्टफोन यूजर हैं और इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरिंग 12 लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष का है। अपनी जरूरत को समझते हुए भारत सरकार द्वारा इंडिया सेमींकडक्टर मिशन के तहत 10 चिप प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। गुजरात के साणंद में एक यूनिट में पायलट प्रोडक्शन लाइन शुरु हो चुकी है। इसी साल पहला मेड इन इंडिया चिप बाजार में आ जाएगा।
  • कई कंपनियां भारत में फैक्ट्रियों और सप्लाई चेन को मजबूत बनाने के लिए निवेश कर रही हैं। भारत के पास वैश्विक सेमीकंडक्टर डिजाइन कार्यबल का 20% से अधिक हिस्सा है। अगले दशक में 10 लाख से ज्यादा सेमीकंडक्टर प्रोफेशनल्स की कमी होगी। इसकी कमी भारत से पूरी हो सकेगी।
  • सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए विश्वस्तरीय इलेक्ट्रानिक डिजाइन आटोमेशन टूल्स का उपयोग 350 संस्थानों और स्टार्टअप्स के 60,000 से अधिक लोग कर रहे हैं। मांइडग्रोव टेक्नोलाजीज, आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित ‘शक्ति प्रोसेसर’ आधारित चिप बना रही है। नेत्रसेमी भारत के स्पेस डिजाइन में बड़ा नाम है।
  • कई स्टार्टअप डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव के तहत विकसित हो रहे हैं। मोहाली में 17 कालेजों के छात्रों ने 20 चिप्स बना लिए हैं। लैम रिसर्च भारत में 60,000 इंजीनियरों को प्रशिक्षित करेगी।
  • आईआईएससी, आईआईटी और अन्य संस्थानों के साथ ‘लैब से फैक्ट्री तक’ कार्यबल तैयार हो रहा है। हम अमेरिका, जापान, यूरोपीय संघ और सिंगापुर आदि से मिलकर केवल खुद को नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को निर्माण करने में सक्षम बना रहे हैं।
  • हमनें पहले डिजिटल इंडिया, यूपीआई टेलीकाम नेटवर्क द्वारा भारतीयों को टेक्नालॉजी उपलब्ध कराई है। अब हम सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रानिक कंपोनेंटस और उपकरणों के निर्माण का इकोसिस्टम बना रहे हैं। ‘सेमीकंडक्टर इंडिया समिट – 2025’ इसी यात्रा का अगला पड़ाव है। इसमें 500 से अधिक ग्लोबल लीडर शामिल हुये हैं। हम भारत को ‘प्रोडक्ट नेशन’ बनाने की राह पर है।

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