सेमीकंडक्टर का सरताज बनने की राह
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महामारी के बाद से सेमीकंडक्टर निर्माण की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है। चिप निर्माण को आकर्षित करने के लिए कई देश अब आकर्षक पैकेज पेश करके अपने हितों की रक्षा में लगे हैं। इसलिए, भारत ने भी देश में इसके निर्माण हेतु 10 अरब डॉलर के पैकेज को मंजूरी दे ही है।
सेमीकंडक्टर निर्माण सुविधा या फैब में भारत की मजबूती –
- हमारे पास अमेरिका के बाद चिप डिजाइनरों की सबसे बड़ी संख्या है। ये सभी अत्याधुनिक प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों पर काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में विभिन्न वैश्विक कंपनियों के 85 से अधिक फैबलेस चिप डिजाइन हाउस हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन टूल्स में हमारे पेशेवरों की विशेषज्ञता विनिर्माण की ओर बढ़ने के लिए ठोस आधार प्रदान करती है।
फैब निर्माण हेतु पारिस्थितिकी तंत्र कैसे बनाया जाए –
- सबसे पहले, देश के भीतर उत्पन्न सेमीकंडक्टर की मांग को समझना महत्वपूर्ण है। यह 2030 तक 80-90 अरब डॉलर होने की उम्मीद है।
- ऑटोमोटिव जैसे सेमींकंडक्टर के निर्माताओं को चाहिए कि वे पहले ही उपभोक्ताओं से एक समझौता कर लें, जिससे निर्मित चिप्स की खपत हो सके।
- कच्चे माल की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को आपूर्ति शुरू करने का अवसर देना होगा। ऐसी कंपनियां अपने आप ही मांग बढ़ाने का काम करती हैं।
- फैब क्लस्टरिंग से सेमींकडक्टर आपूर्ति श्रृंखला और संबंधित व्यवसाय को एक मंच दिया जा सकता है।
- ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र एक अच्छे स्थान और उत्तम बुनियादी ढांचे की मांग करता है। इसके लिए अल्ट्रा प्योर पानी और बिजली की पर्याप्त सुविधा होनी चाहिए।
- श्रम विवादों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने की आवश्यकता है।
- एफडीआई को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- शोध व अनुसंधान को बढ़ावा देना होगा, क्योंकि नए युग की प्रौद्योगिकियों को डिजाइन, सामग्री और प्रक्रिया स्तरों पर नवाचार की आवश्यकता होती है।
- आकर्षक सरकारी अनुदान और कर प्रोत्साहन के साथ भारतीय इंजीनियरों को स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- भारत के प्रमुख विज्ञान संस्थानों को भी इस क्षेत्र में आक्रामक तरीके से काम करने के लिए कहा जाना चाहिए।
इन सबके साथ भारत यह सुनिश्चित कर सकता है कि वह आत्मनिर्भर बन जाए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित गुंजन कृष्ण के लेख पर आधारित। 14 फरवरी, 2022