सेमीकंडक्टर औद्योगिक नीति

Afeias
30 Dec 2021
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हाल ही में भारत सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर चिप के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 76000 करोड़ रु. के पैकेज की घोषणा की है। इसका लक्ष्य देश में सेमीकंडक्टर के डिजाइन और विनिर्माण को सुगम बनाना है। सरकार का यह कदम स्वागतयोग्य कहा जा सकता है। परंतु यह जानने की जरूरत है कि सेमीकंडक्टर विनिर्माण उद्योग कुछ भिन्न तरह का होता है। इसे तीन बिंदुओं में बेहतर समझा जा सकता है –

  1. इसका विनिर्माण जटिल होता है। इसमें लगभग 300 अलग-अलग हाई तकनीक इनपुट की आवश्यकता होती है।
  1. इसके परिणामस्वरूप एक वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बन गई है, जो भौगोलिक रूप से अत्यधिक केंद्रित है। इसका क्षेत्र अमेरिका, यूरोप और पूर्वी एशिया तक फैला हुआ है। इस पूरी श्रृंखला के भीतर असाधारण स्तर की विशेषज्ञता है।
  1. इस उत्पाद के शोध एवं अनुसंधान व विनिर्माण पर बहुत अधिक निवेश की जरूरत होती है। अनुमान है कि अगले दशक में लगभग 3 अरब डॉलर निवेश की जरूरत होगी।

इन विशेषताओं का परिणाम यह है कि आपूर्ति श्रृंखला की तीन बेहतरीन कंपनियां ही लगभग सारा लाभ ले जाती हैं। ये सभी कारक तब भी लागू होंगे, जब कंपनियां भारत के प्रोत्साहन पैकेज का आकलन करेंगी।

दरअसल, इसे केंद्र सरकार की ओर से सांकेतिक समर्थन के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि एक बार जब कंपनियां इस क्षेत्र में आगे आती दिखेंगी, तब राज्य सरकारें भी निवेश के लिए आगे बढ़ेंगी।

निवेश के जोखिम को कम करने के लिए भारत को असेंबली, पैकेजिंग और परीक्षण जैसे भाग को आकर्षित करने पर ध्यान देना चाहिए। एक बार जब पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो जाए, तब विनिर्माण के फ्रंट एंड पर पकड़ बनानी चाहिए। साथ ही, चिप डिजाइन में भारतीय इंजीनियरों की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। कुल मिलाकर भारत सरकार ने एक साहसिक कदम उठाया है, जिस पर अब ध्यान देने की आवश्यकता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 17 दिसम्बर, 2021