स्कूली शिक्षा व्यवस्था की कमजोर नींव
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- परख या परफॉर्मेंस, एसेसमेंट, रिव्यू एण्ड एनालिसिस ऑफ नॉलेज फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट या समग्र विकास के लिए ज्ञान का प्रदर्शन, मूल्यांकन, समीक्षा और विश्लेषण के राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 के आंकड़े स्पष्ट संदेश देते हैं कि स्कूल भरे हुए हैं, लेकिन दिमाग तेज नहीं हो रहे हैं।
- सर्वेक्षण में पाया गया है कि कक्षा 6 के 43% छात्र पाठ के मुख्य विचार को समझ नहीं पाते हैं। कक्षा 9 के 63% छात्रों को बेसिक गणित में कठिनाई है।
- इस सर्वेक्षण में सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 781 जिलों के 74,229 स्कूलों के कक्षा 3,6 और 9 के 21 लाख से ज्यादा छात्रों का परीक्षण किया गया है।
- एनईपी 2020 सभी के लिए सही रूप से बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता को प्राथमिकता देता है।
- परख के निष्कर्ष स्पष्ट बताते हैं कि केवल कक्षा सुधार से ही कोई बदलाव नहीं आएगा। शिक्षा का संबंध पारिवारिक पृष्ठभूमि, सामुदायिक समर्थन, स्कूल के बुनियादी ढांचे और शिक्षकों की गुणवत्ता से है। इनके बीच तालमेल के बिना, सर्वोत्तम नीतियाँ भी ठप हो जाएंगी।
- सर्वेक्षण यह भी बताता है कि बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्र शिक्षित परिवारों से आते हैं। उनके पास बिजली और डिजिटल उपकरणों की पहुंच है।
- सरकार को मुख्य सुधारों पर ध्यान देना चाहिए। इनमें पाठ्यक्रम और मूल्यांकन को रटने वाली पद्धति से हटाना, आधारभूत शिक्षा में निवेश करना, शिक्षक प्रशिक्षण और शैक्षणिक सहायता को मजबूत करना तथा स्कूल और परिवार के बीच संबंधों का विस्तार करना शामिल है।
- यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट 2024-25 में प्रधानाचार्यों के मानकीकृत प्रशिक्षण, शिक्षक भर्ती में लैंगिक समानता और सभी की भूमिकाओं में स्पष्टता को अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिए जरूरी माना गया है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 14 जुलाई, 2025