सरकार को राष्ट्रीय शहरी रोजगार गारंटी योजना क्यों शुरू करनी चाहिए ?

Afeias
14 Oct 2022
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  • महामारी के व्यापक प्रभाव के बाद प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद सहित कई विशेषज्ञों का तर्क है कि शहरी रोजगार कार्यक्रम की जरूरत है।
  • एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में 1.6 लाख आत्महत्या के मामलों में से 26% या 42,004 दैनिक वेतन पर गुजारा करने वाले लोग हैं।
  • सीएमआईई (सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकॉनॉमी) के आंकड़ों से पता चलता है कि शहरी बेरोजगारी जून में 7.32 फीसदी से बढ़कर अगस्त में 9.57% हो गई है। इस अवधि में ग्रामीण बेरोजगारी 7.68% ही थी।
  • अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि राष्ट्रीय स्तर पर 2 करोड़ श्रमिकों को 300 रुपये प्रतिदिन की दर से 100 दिन रोजगार मुहैया कराने पर एक लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा।
  • हाल ही में राजस्थान सरकार ने शहरी रोजगार गांरटी योजना की शुरूआत की है। इस हेतु 2021-22 के राज्य के बजट में 800 करोड़ रुपये सालाना खर्च होंगे।

शहरी रोजगार गारंटी योजना भले ही अस्थायी हो, पर यह श्रम बाजार के निचले छोर पर चल रहे रोजगार संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका रखती है। अगर इसे अच्छी तरह से डिजाइन किया जाए, और इसमें कुछ अन्य सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को शामिल किया जाए, तो वास्तव में सरकारी बजट पर दबाव भी नहीं पड़ेगा। शहरी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा विकास कार्यों के अलावा अनेक ग्रीनफील्ड परियोजनाएं है। इसका मतलब है कि इस रोजगार गांरटी योजना के लिए उत्पादक कार्यों की कोई कमी भी नहीं होगी। अतः केन्द्र सरकार को जल्द ही अपने संस्करण के साथ आगे आना चाहिए।

13 सितम्बर, 2022 को ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित।