संघीय भावना

Afeias
17 Dec 2020
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Date:17-12-20

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हमारा देश गणराज्य है। इसमें केंद्र सरकार के साथ राज्यों की भागीदारी का होना वांछनीय है। कभी-कभी विचारों की भिन्नता के चलते केंद्र सरकार की विकास योजनाओं पर राज्य अमल नहीं कर पाते हैं। इसका कारण स्थानीय और वित्तीय प्राथमिकताओं की भिन्नता हो सकती है। ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र सरकार और केंद्र के बीच चल रहा है। इससे सहकारी संघवाद के विचार को ठेस पहुँचती है।

दरअसल, महाराष्ट्र के लिए केंद्र सरकार बुलेट ट्रेन परियोजना लेकर आई है। केंद्र सरकार का विचार है कि चीन के विकास को बुलेट ट्रेनों के माध्यम से बहुत गति मिली है। महाराष्ट्र सरकार की देरी बताती है कि इस योजना में व्यय करने की उसकी इच्छा नहीं है। राजनीति की भेंट चढता यह विकास-कार्य दुर्भाग्यवश संपन्न नहीं हो पा रहा है।

इसी प्रकार प्रधानमंत्री ने कुछ राज्यों द्वारा पी एम एस वी ए-निधि वित्तीय योजना में रेहड़ियों आदि के पंजीकरण में विफलता का भी वास्ता दिया है।

देश के लिए किया जाने वाला कोई भी पुनरूद्धार कार्य सहकारी संघवाद की मूल भावना पर निर्भर करता है। 2015 में 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों में इसे देखा गया था, जिसमें राज्यों को 42% प्राप्तियों को समर्पित किया गया था। 2014-15 और 2019-20 के बीच राज्यों का सार्वजनिक ऋण बढ़ गया, जबकि केंद्र का यह ऋण घटा। यद्यपि राजकोषीय उत्तरदायित्व के लिए राज्यों को कदम उठाना चाहिए, परंतु वे अपनी आर्थिक स्थिति की दुर्दशा के लिए अपर्याप्त कर विचलन और जी एस टी मुआवजे को दोषी ठहराते हैं।

अब कोविड के चलते आई मंदी, राज्यों को विकास के लिए खर्च में कटौती करने को मजबूर कर रही है। यह वह समय है, जब केंद्र-राज्य के संबंधों में अधिक समन्वय की आवश्यकता है। धन के अलावा, राजनीतिक अविश्वास को भी दूर किया जाना चाहिए। गैर-भाजपा शासित राज्यों को केंद्र सरकार से ऐसी आशंकाएं हैं कि अनेक केंद्रीय एजेंसियां उनके पीछे लगी हुई हैं, और उनकी सरकार को अस्थिर करना चाहती हैं।

केंद्र की अनेक योजनाओं में अपना श्रेय लेने का लोभ भी केंद्र-राज्य संबंधों को बिगाड़ रहा है। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी ने एस वी ए निधि योजना का नामकरण अपने नाम पर कर लिया है। हांलाकि बिहार की जीत के बाद भाजपा को अपने राजनीतिक और आर्थिक वर्चस्व के प्रति कुछ निश्चिन्त हो जाना चाहिए।

केंद्र-राज्य के सौहार्दपूर्ण संबंध देश की अर्थव्यवस्था और विकास के लिए कल्याणकारी ही होते हैं। अतः केंद्र व राज्यों को इसी दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 27 नवम्बर, 2020

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