समुद्री मार्गों की संरक्षक – भारतीय नौसेना
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प्रमुख समुद्री मार्गों पर समुद्री डकैतों से सुरक्षा देने में भारतीय नौसेना के अभियान महत्वपूर्ण रहे हैं। हाल ही में नौसेना को एक और सफलता मिली है। उत्तरी अरब सागर में एक व्यापारिक जहाज के अपरहरण के प्रयास को नौसेना ने विफल कर दिया है। इस प्रकार के प्रयास लगभग 15 वर्षों से किए जा रहे हैं।
वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग –
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से वैश्विक व्यापार का लगभग 80% मुख्य रूप से समुद्री राजमार्गों से होता आ रहा है। इसलिए इन्हें सुरक्षित रखना सभी देशों के हित में है।
2008 का ब्रेकप्वाइंट –
शिपिंग बीमा प्रीमियम व्यापार की मात्रा को प्रभावित करता है। 2008 में, लॉयइस मार्केट एसोसिएशन ने समुद्री डाकुओं के हमलों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद अदन की खाड़ी को खतरे वाला क्षेत्र घोषित कर दिया था। इसके कारण बीमा प्रीमियम में बहुत वृद्धि हो गई थी।
भारतीय नौसेना की अग्रणी भूमिका –
इसके बाद ही 2008 में भारतीय नौसेना बहुत सक्रिय हो गई। उसने डाकुओं के विरूद्ध कार्यवाही के लिए अदन की खाड़ी में जहाजों को तैनात कर दिया। इसका पूरे विश्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। यह कहना मुश्किल है कि इसका समुद्री लूट पर कितना प्रभाव पड़ा, लेकिन निश्चित तौर पर बीमा प्रीमियम को नियंत्रण में रखा जा सका।
समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखने की आवश्यकता –
1982 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन को महासागरों के एक संविधान के रूप में जाना जाता है। 150 से अधिक देशों ने हमें अपनाया है। इसका प्रमुख उद्देश्य समुद्री राजमार्गों को शिपिंग के लिए मुक्त और सुरक्षित रखना है। इन सबके पीछे भारतीय नौसेना की प्रमुख भूमिका है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 8 जनवरी, 2024