समुद्री अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का समय – 2
To Download Click Here.

11,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी तटरेखा और लगभग 14,000 कि.मी. नौगम्य (नेवीगेबल) जलमार्गों के साथ, भारत सड़क और रेल की तुलना में अपनी समुद्री क्षमता का कम उपयोग करता है।
कुछ तथ्य –
- वर्तमान में केवल 7% माल टन-किमी. समुद्र या आंतरिक जलमार्गों से जाता हैं। जबकि सड़क मार्ग से 65% और 22% रेल मार्ग से जाता है।
वहीं, चीन में जल मार्ग से 34% माल भेजा जाता है।
- भारत के 12 प्रमुख और 200 से अधिक छोटे बंदरगाह देश के लगभग 95% निर्यात -आयात का प्रबंधन करते हैं।
- भारत का 90-95% माल विदेशी शिपिंग लाइनों से लाया-ले जाया जाता है। अधिकांश कंटेनर आयात किए जाते हैं। इस क्षेत्र पर चीन का प्रभुत्व है।
सरकारी प्रयास –
- इस वर्ष भारतीय बंदरगाह अधिनिमय, 2025 में चार कानून पारित किए गए हैं। इनका उद्देश्य बंदरगाह प्रशासन का आधुनिकीकरण, कानूनी स्पष्टता को बढ़ाना, पारदर्शिता बढ़ाना और बंदरगाह एवं नौवहन संचालन को सुव्यवस्थित करना है।
- सरकार जानती है कि केवल अधिनिमय पारित करने से बात नहीं बन सकती है। जहाज मालिकों और बिल्डरों की बंदरगाह और टर्मिनल ऑपरेटरों से बहुत अलग जरूरतें होती हैं। कैरियर्स के लिए परिचालन दक्षता ही वास्तव में मायने रखती है।
क्या किया जाना चाहिए –
- दक्षता बढ़ाने के लिए समर्पित मल्टीमॉडल कॉरिडोर के माध्यम से अपने बंदरगाहों को रेल और सड़क नेटवर्क के साथ एकीकृत करना।
- भारत को एआई संचालित कार्गो ट्रैकिंग, स्मार्ट पोर्ट तकनीकों में निवेश करना चाहिए।
- नियामक ढ़ाँचों के सरलीकरण की जरूरत है।
- हरित और धारणीय तकनीकों में निवेश किया जाना चाहिए।
- सीमा शुल्क और बंदरगाह निकासी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना चाहिए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 31 अक्टूबर, 2025