आरबीआई की रिटेल डायरेक्ट स्कीम

Afeias
07 Dec 2021
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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिटेल निवेशकों के लिए सरकारी प्रतिभूतियों (गवर्नमेंट सिक्योरिटीज) में निवेश का रास्ता खोल दिया है। इसके लिए उन्होंने खुदरा प्रत्यक्ष योजना या रिटेल डायरेक्ट स्कीम की शुरुआत की है। इस योजना की मुख्य बातें-

लाभ

  • छोटे निवेशकों की पहुंच बढे़गी। वे सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर सकेंगे।
  • विकास कार्यक्रमों के लिए सरकार को पैसे जुटाने में मदद मिलेगी।
  • मध्यम वर्ग, कर्मचारी, छोटे व्यापारी और वरिष्ठ नागरिक अपनी छोटी बचत को सीधे और सुरक्षित तरीके से निवेश कर सकेंगे। सरकारी प्रतिभूतियों में गारंटी वाले समाधान का प्रावधान होता है।
  • इस योजना के तहत न सिर्फ केंद्र बल्कि राज्य सरकारों की प्रतिभूतियां भी खरीदी जा सकती हैं।
  • योजना का उद्देश्य निवेशक और ऋण बाजार के आधार को व्यापक बनाना है।

आशंकाए –

  • योजना में निवेशक को जोखिम रहता है। निवेश की गई राशि या खरीदे गए बांड का मूल्य कम भी हो सकता है।
  • इस मंच पर कोई बचाव-व्यवस्था नहीं है। भले ही खुदरा निवेशक डेरिवेटिव का उपयोग करने के लिए पर्याप्त सूचना रखता हो, फिर भी वह खतरे में आ सकता है।
  • यदि कोई निवेशक कूपन की मैच्योरिटी अवधि तक प्रतीक्षा करता है, तो उसको 10 साल के बांड पर 6% की दर से लाभ मिलेगा। सवाल यह है कि निवेशक, आरबीआई के 7.1% बांड को नापसंद करके इस योजना में निवेश क्यों करेगा ?
  • सामान्यतः, खुदरा निवेशक बांड बाजार के विकास के लिए पोषण प्रदान करने की संभावना ही नहीं रखते हैं।
  • इसके अलावा, भारत में ऋण या डेट बाजार का मार्ग, छोटे और मध्यम उद्यमों को ऋण देने के माध्यम से चलता है। इनका निवेश ग्रेड रेटिंग से कम है, और रिटर्न की बेहतर संभावना रहती है।

वास्तव में, सरकार की इस योजना में छोटे निवेशकों का कितना आकर्षण होगा यह कहा नहीं जा सकता। यदि सरकार खुदरा निवेशकों को सरकारी बॉन्ड बाजार में आकर्षित करने के बारे में गंभीर है, तो उसे ब्रोकरेज के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंजों पर गिल्ट का व्यापार करने की अनुमति देनी चाहिए।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 13 नवम्बर, 2021

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