
राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों के प्रति मोदी की जवाबी कूटनीति
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पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में कई विषयों पर चर्चा की थी। इसमें उन्होंने कूटनीति पर मजबूत संकेत दिए थे। कूटनीति का सहारा संघर्ष में पड़े बिना, अपने लक्ष्यों को चतुराई से प्राप्त करने के लिए हमेशा से ही लिया जाता रहा है?
वर्तमान समय में प्रधानमंत्री की यह नीति इतनी रेखांकित क्यों हो रही है।
कुछ बिंदु –
- हाल के दिनों में देशों और उनके नेताओं ने आमने-सामने बैठकर बातचीत के जरिए विवादों के समाधान निकालने बंद से कर दिए हैं। वह चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध हो, गाजा-इजराइल संघर्ष हो या भारत-चीन सीमा विवाद हो, सभी में दो पक्षों के बीच धैर्य और कूटनीतिक विफलता देखी जा सकती है।
- पॉडकॉस्ट में श्री मोदी ने स्पष्ट किया कि वे कूटनीति में भारत के हितों को सबसे आगे रखते हैं। लेकिन दूसरे पक्ष के दृष्टिकोण की भी सराहना करते हैं। तभी ट्रंप उन्हें ‘टफ निगोशिएटर’ कहते हैं।
- ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने पर कनाडा, मैक्सिको और चीन ने जवाबी कार्रवाई की। लेकिन भारत ने बातचीत के जरिए अपने तर्क रखने की कोशिश की है। मुश्किल वैश्विक चुनौतियों का समाधान केवल तभी मिल सकता है, जब दोनों पक्ष यह समझें कि सामने वाले के दृष्टिकोण का आधार क्या है।
- भारतीय दर्शन का समतायोग एक समझदारी भरे रास्ते की ओर ले जाता है। इसमें मेरा-तेरा का भेद किए बिना पारस्परिक समस्या का बेहतर समाधान मिल सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसी प्रकार का रास्ता अपनाया और अपनी वाशिंगटन यात्रा में कहा था कि ‘राष्ट्रपति ट्रंप की तरह, भारत के हितों को सर्वोच्च रखना और काम करना मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात हैं।’ यह दोनों के बीच उलझे मुद्दों पर बातचीत के लिए सकारात्मक शुरूआत है
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 18 मार्च, 2025